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मिशनरियों द्वारा शोषण की घटनाओं को छोड़ झांसी विषय पर पत्र चुनावी पैंतरा

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झांसी में ट्रेन से दो ननों और सहयात्री सामान्य वेश धारी युवतियों को उतारने का निर्णय रेलवे पुलिस का

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के झांसी में ट्रेन से यात्रा कर रही दो नन और उनके साथ जा रही दो सामान्य वेश में युवतियों को ट्रेन से उतारने संबंधी घटना में यात्रा कर रहे अभाविप के कार्यकर्ता द्वारा सहयात्री दो ननों व सामान्य वेश में युवतियों के संबंध में विरोधाभासी तथा असंगत बात सुन शंका होने पर वैधानिक रूप से रेलवे पुलिस को सूचना दी गई तथा रेलवे पुलिस ने उक्त घटना की जांच की, जीआरपी द्वारा ही उन दो ननों और उनके साथ जा रही युवतियों को अधिक जांच पड़ताल हेतु ट्रेन से नीचे उतारा गया.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, सभी धर्मों व उनके प्रतीकों का सम्मान करती है. पाँच दिन बाद अनावश्यक रूप से इस मुद्दे को उठाना केरल चुनावों में साम्प्रदायिक तौर पर भुनाने की साज़िश प्रतीत होती है. महिला सुरक्षा के लिए सदैव प्रतिबद्ध अभाविप कार्यकर्ताओं को मिशनरियों द्वारा चलाये जा रहे धर्मपरिवर्तन के तंत्र एवं महिलाओं के प्रति मिशनरियों द्वारा शारीरिक शोषण की घटनाओं को देखकर रेलवे को सचेत करना पूर्णतः उचित कदम है. ऐसे में उक्त घटना में अनावश्यक रूप से अभाविप के संदर्भ में आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर दुष्प्रचार करना गैर-जिम्मेदाराना रवैया है.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, “महिला सुरक्षा के प्रति चिंतित एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अभाविप के कार्यकर्ताओं ने वैधानिक मार्ग का प्रयोग कर पुलिस को सूचित किया है. केरल के मुख्यमंत्री द्वारा केरल में मिशनरियों द्वारा किये जा रहे शोषण की घटनाओं को दबाकर झाँसी की घटना पर पत्र लिखना केरल के चुनावों को देखते हुए राजनीति से प्रेरित व्यवहार है.”

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