मुंबई (विसंकें). लॉकडाउन की समस्या को हर किसी को झेलना पड़ा. अनेक लघु उद्योगों के उत्पाद बिक्री के लिए तैयार थे, परन्तु उन्हें मार्केट तक लेकर जाना असंभव था. लॉकडाउन शुरू होने के कुछ दिनों बाद इ-कामर्स कंपनियां शुरू हुई, परंतु वहां पर स्वदेशी उत्पादों को अपेक्षित स्थान नहीं मिल रहा था. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल का नारा दिया और अनेकों लोग स्वदेशी उत्पादों को खरीदने लगे. स्वदेशी उत्पादों का अधिक उपयोग हो और स्थानीय उत्पादकों को प्रेरणा मिले, यही उनका संदेश था. पर, लॉकडाउन के चलते ये उत्पाद अधिक मात्रा में लोगों तक पहुचेंगे कैसे? इस पर चिंतन शुरू हुआ तो समस्या का समाधान भी निकला.
अब आइआइटी मुंबई और स्ट्रॅटेजिकल इआरपी के संयुक्त तत्त्वाधान में ‘लोकाकार्ट ऐप’ शुरू हो रहा है. यह ऐप किसान, दुकानदार, सेल्फ हेल्प ग्रुप और ग्राहक को एक दूसरे से जोड़ने का काम करेगा. मध्यम एवं लघु उद्योग व्यावसायिक माध्यम से इ-कामर्स की और बढ़ेंगे. किसानों और लघु उत्पादकों को अत्मनिर्भर बनाने में ‘लोकाकार्ट ऐप’ अहम भूमिका निभाएगा.
आइआइटी मुंबई के प्रोफेसर नरेन्द्र शाह के मार्गदर्शन में प्रोफेसर गणेश रामकृष्ण और आश्विन गामी एवं स्ट्रॅटेजिकल इआरपी ने संयुक्त रूप से यह ऐप तैयार किया है. यह ग्राहक और स्थानीय रिटेलर के मध्य पूल का काम करेगा. एन्ड्रॉयड मोबाईल में यह एप्लीकेशन तीन तरीके से काम करेगा.
१. खरीदारी करने वालों के लिए, २. बिक्री करने वालों के लिए एडमिन और ३. बड़ी मात्रा में खरीदारी करने वालों के लिए लोकाकार्ट प्लस.
आईफोन में सिर्फ खरीदारी के लिए यह ऐप काम करेगा. फ़िलहाल १९४ उत्पादों के साथ यह प्रक्रिया शुरू हुई है. वस्तुओं की मांग, बिलिंग और डिलीवरी, यह सभी क्रियाएं मोबाईल एप्लीकेशन द्वारा ही रेगुलेट की जाएंगी. मोबाईल में ऐप डाउनलोड करके, फिर अपना प्रोफाइल तैयार कर देशी सब्जियां, राशन का सामान मंगाना सुलभ होगा. खरीदार और किसान के बीच कोई मध्यस्थ न होने के कारण व्यवहार में विश्वास, पारदर्शिता होगी. स्थानीय उत्पाद लोकाकार्ट पर उपलब्ध हैं. इनमें आर्गेनिक उत्पादों का भी अंतर्भाव है. ग्राहकों को भी स्थानीय उत्पाद होने के कारण क्वालिटी के बारे में कोई संदेह नहीं होगा. भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह प्रशंसनीय पहल है.