चैन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि ‘श्रीराम’ हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं और दिल के बहुत करीब हैं.
न्यायालय ने प्रशासन पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि “जब लोगों को मूवी हॉल, मॉल और अन्य सार्वजनिक स्थानों के अंदर जाने की अनुमति दी गई है. और अगर याचिकाकर्ता को मदुरै और उसके आसपास अपनी वैन ले जाने की अनुमति दी जाती है, तो कानून और व्यवस्था की समस्या कैसे होगी.”
यह देखते हुए कि संबंधित अधिकारियों को याचिकाकर्ता के वाहन की आवाजाही पर रोक नहीं लगानी चाहिए थी, न्यायालय ने कहा कि उन्हें कुछ प्रतिबंध लगाने के बाद यात्रा की अनुमति देनी चाहिए. इसलिए, पुलिस आयुक्त, मदुरै सिटी को निर्देशित किया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत प्रतिनिधित्व पर उचित आदेश पारित करें.
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ ने शुक्रवार (19 फरवरी) को एक याचिका को अनुमति दी, जिसमें अयोध्या में “श्रीराम मंदिर” के निर्माण के लिए मदुरै के आसपास के क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाने की अनुमति मांगी गई थी. न्यायमूर्ति आर. हेमलता की खंडपीठ ने मदुरै शहर के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व पर विचार करें और मदुरै और उसके आसपास वाहन की मुक्त आवाजाही के लिए उचित प्रतिबंधों के साथ उचित आदेश पारित करें.
याचिकाकर्ता (एन. सेल्वाकुमार) “श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र” (निधि समर्पण अभियान) के जिला संयोजक हैं, जो आम जनता के बीच जागरूकता पैदा करने और “अयोध्या में श्रीराम मंदिर” के निर्माण के लिए बनाया गया है. याचिकाकर्ता ने 13 फरवरी, 2021 को मदुरै शहर के पुलिस आयुक्त के समक्ष एक आवेदन दिया कि मदुरै व उसके आसपास, एक वैन के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाने की अनुमति दी जाए.
उक्त आवेदन को सहायक पुलिस आयुक्त, थिलगर थाइडल (लॉ एंड ऑर्डर) रेंज, मदुरै सिटी ने वर्तमान COVID -19 स्थिति और कानून व्यवस्था की समस्या का हवाला देते हुए खारिज कर दिया. यद्यपि सरकार द्वारा विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों को सम्मेलन और सार्वजनिक बैठकें आयोजित करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन उन्हें अनुमति से वंचित कर दिया गया. पुलिस द्वारा उनके वाहन की आवाजाही पर भी रोक दी गई थी.
एपीपी ने दावा किया कि दूसरे प्रतिवादी [सहायक पुलिस आयुक्त, थिलगर थाइडल] का मदुरै के 100 वार्डों में अधिकार क्षेत्र नहीं है और उन्हे याचिकाकर्ता को अनुमति देने का अधिकार भी नहीं है. याचिकाकर्ता को पुलिस आयुक्त, मदुरै सिटी पुलिस के समक्ष याचिका दायर करनी चाहिए थी.
इस पर न्यायालय ने कहा, “कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि दूसरे प्रतिवादी के पास आदेश पारित करने की शक्तियां नहीं हैं और यदि उसे ऐसा लगता है, तो उसे अनुमति अस्वीकार करने के बजाय पुलिस आयुक्त के पास भेज देना चाहिए.”
” ‘श्रीराम’ हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं और दिल के बहुत करीब हैं और जब लोगों को मूवी हॉल, मॉल और अन्य सार्वजनिक स्थानों के अंदर जाने की अनुमति दी गई है तो मुझे इस मामले में दूसरे प्रतिवादी द्वारा लिए गए आधिकारिक रुख को मान्यता देने का कोई कारण नहीं मिलता.” न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि, “दूसरे प्रतिवादी द्वारा पारित आदेश में यह भी नहीं बताया गया है कि कानून और व्यवस्था की समस्या कैसे होगी, अगर याचिकाकर्ता को मदुरै और उसके आसपास अपनी वैन ले जाने की अनुमति दी जाती है.”