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लोकमंगलकारी पत्रकारिता का पर्याय थे देवर्षि नारद

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जयपुर, 13 मई। वीएसके फाउंडेशन जयपुर द्वारा नारद जयंती के उपलक्ष्य में मंगलवार, 13 मई  को पाथेय भवन नारद सभागार में पत्रकार सम्मान समारोह आयोजित किया गया। सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल हरिभाऊ वागड़े, मुख्य वक्ता पांचजन्य पत्रिका के संपादक हितेश शंकर एवं अध्यक्ष जयपुर प्रान्त सह संघचालक हेमंत सेठिया रहे। कार्यक्रम में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व डिजिटल तीनों माध्यमों के चयनित पत्रकारों का सम्मान किया गया। प्रिंट मीडिया से मेघश्याम पाराशर, राजस्थान पत्रिका को “पुण्यार्थ जीवन, हितार्थ सौदा” स्टोरी के लिए, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से श्रीवत्सन, न्यूज 24 को मेवात में साइबर ठगी पर स्टोरी के लिए एवं न्यू मीडिया से अभिषेक जोशी भारत रफ्तार को सामाजिक समरसता पर स्टोरी के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में जयपुर प्रान्त सह संघचालक हेमंत सेठिया जी ने कहा कि नारद भक्ति, ज्ञान, गीत, कविता, संवाद के साथ साथ लोकमंगल के पर्याय हैं। नारद के चरित्र में लोकमंगल प्रेम, न्याय और सद्भाव के रूप में दिखाई देता है। तीनों लोकों में लोग उनकी प्रतीक्षा करते थे। आज लोकमंगल के लिए ऐसी ही पत्रकारिता हमें चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज के समय में लोकमंगल का अर्थ भारत का चहुंमुखी विकास है। इस विकसित भारत में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसके लिए सकारात्मक पत्रकारिता समय की आवश्यकता है। सामाजिक समरसता के प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है।

मुख्य वक्ता हितेश शंकर ने कहा कि जयपुर पहला ऐसा स्थान है, जहां नारद जी को समर्पित सभागार है। पाकिस्तान की आतंरिक अस्थिरता में भारत की प्रतिक्रिया के बाद बढ़ोतरी हुईं है। वहां बलूच, पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर आदि के दबे हुए समूहों को उम्मीद की किरण दिखाई दी और आवाज उठी। पाकिस्तान के रेडियो स्टेशन्स द्वारा साइबर युद्ध में जीत के झूठे दावे किए गए। परन्तु भारत ने पाकिस्तान को प्रभावकारी साइबर चुनौती दी। उन्होंने कहा कि कहानी का कौन-सा पहलु दुनिया के सामने रखना है, यह समझना होगा क्योंकि भारत की हर कहानी में लोकमंगल का तत्त्व है और ऑपरेशन सिंदूर के लोकमंगल के हर तत्त्व को हमें दुनिया के समक्ष लाना होगा।

राज्यपाल हरिभाऊ वागड़े ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए सभी सम्मानित पत्रकारों को शुभकामनाएं प्रेषित कीं। उन्होंने कहा कि नारद जी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नहीं, बल्कि मौखिक मीडिया था। और मौखिक पब्लिसिटी की अपनी महत्ता है। संघ ने भी अपने पर बैन के समय इसी माऊथ पब्लिसिटी से काम किया। स्वतंत्रता के बाद कश्मीर पर पाकिस्तान के आक्रमण में लार्ड माउन्टबेटन के कारण ही पीओके बना। माउन्टबेटन को तीनों सेनाओं का प्रमुख बनाना हमारी उस समय की सबसे बड़ी भूल थी। उसके बाद से हर साल हमने आतंक का दंश झेला है।

उन्होंने कहा कि पहले कोई अपनी पहचान हिन्दू के रूप में बताने की हिम्मत नहीं कर पाता था। हम गुलाम इसीलिए बने क्योंकि एक राष्ट्र होने की भावना विस्मृत हो गई थी। दीनदयाल जी कहते थे कि विविध प्रकार के फूल जिस धागे में पिरोये जाते हैं वो धागा हिन्दू है। हमें राष्ट्र के रूप में इतना एकजुट होना है कि कश्मीर के व्यक्ति को काँटा चुभे तो केरल का व्यक्ति आगे आकर काँटा निकाले।

राज्यपाल ने कहा कि पंडित नेहरू ने डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया में लिखा कि अफगानिस्तान में सब हिन्दू थे। धीरे धीरे हमारा भौगोलिक क्षेत्र कम होता गया है, लेकिन हमें हमारी बौद्धिक सम्पदा बचाकर रखनी होगी। गुरुत्वाकर्षण से लेकर विमान बनाने तक के सभी आविष्कार भारत के थे, जिन पर विदेशियों ने अतिक्रमण किया। इन सबको हमें भावी पीढ़ी के समक्ष रखना होगा।

अंत में अभिषेक अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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