मेरठ (विसंकें). अजय मित्तल ने कहा कि महर्षि अरविन्द घोष ने देश के स्वतंतत्रा आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने अनेक क्रान्तिकारियों का मार्गदर्शन करने के साथ-साथ उन्हें अध्यात्म से भी परिचित कराया. अजय मित्तल विश्व संवाद केंद्र मेरठ द्वारा आयोजित वेब संगोषित में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि महर्षि अरविन्द बाल्यकाल से ही बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न थे. आई.सी.एस. की परीक्षा प्रथम प्रयास में ही उत्तीर्ण कर ली थी. लेकिन घुड़सवारी के टेस्ट में अनुपस्थित रहकर उन्होंने अपने परिवार को यह अहसास करा दिया था कि उनके आगे की दिशा क्या होगी. स्वामी विवेकानन्द स्वयं महर्षि अरविन्द को योग सिखाते थे. महर्षि अरविन्द का भारतीय शिक्षा के प्रति बहुत ही संवेदनशील दृष्टिकोण था. महर्षि अरविन्द ने सर्वप्रथम घोषणा की कि मानव सांसारिक जीवन में भी दैवी शक्ति प्राप्त कर सकता है, वे मानते थे कि मानव भौतिक जीवन व्यतीत करते हुए तथा अन्य मानवों की सेवा करते हुए अपने मानस को अति मानस तथा स्वयं को अति मानव में परिवर्तित कर सकता है. यह अध्यात्म एवं शिक्षा के माध्यम से संभव हो सकता है. महर्षि अरविन्द का शिक्षा दर्शन भारतीय संस्कृति के अनुकूल मानव संसाधन का सकारात्मक प्रतिमान स्थापित करने वाला है. आज के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को महर्षि अरविन्द को पढ़ना चाहिये.
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ कुलपति प्रो. नरेन्द्र कुमार तनेजा ने कहा कि भारत की आजादी के लिए हुए प्रमुख आन्दोलनों में महर्षि अरविन्द की निर्णायक भूमिका थी. असहयोग आन्दोलन की प्रेरणा उन्होंने ही दी थी. भारतीय शिक्षा दर्शन के क्षेत्र में भी उनका योगदान अविस्मरणीय है. अरविन्द का शिक्षा दर्शन लक्ष्य की दृष्टि से आदर्शवादी, उपागम की दृष्टि से यथार्थवादी, क्रिया की दृष्टि से प्रयोजनवादी तथा महत्वाकांक्षा की दृष्टि से मानवतावादी है. वर्ततान सरकार ने जो नई शिक्षा नीति देश के सामने रखी है, निःसंदेह वह दूरगामी सुखद परिणामकारी होने के साथ-साथ भारतीय जीवन मूल्यों, जीवन पद्धति, दर्शन तथा महर्षि अरविन्द के दर्शन को भी समाहित किये हुए है.
कार्यक्रम के अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक प्रेमचन्द ने भी महर्षि अरविन्द के विषय में अपने विचार रखते हुए सभी अतिथियों एवं कार्यक्रम से लाइव जुड़े स्वयंसेवकों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रशान्त कुमार ने किया.