करंट टॉपिक्स

बेटियों को गुड़िया नहीं, रानी योद्धा बनाओ, तभी नारी सशक्त होगी

Spread the love

भोपाल. रवींद्र भवन में आयोजित व्याख्यानमाला में सामाजिक कार्यकर्ता काजल हिदुस्थानी ने कहा कि हम बेटियों के हाथ में गुड़ियां तो थमा देते हैं, लेकिन उन्हें लड़ना नहीं सिखाते. आत्मरक्षा करना नहीं सिखाते. जबकि हमें बेटियों को तो योद्धा बनाना चाहिए. ताकि वे शिक्षा हासिल करने के साथ जब अकेली बाहर जाएं तो अपनी आत्मरक्षा कर सकें और कोलकत्ता जैसी घटनाएं नहीं हो.

भारतीय विचार संस्थान न्यास द्वारा आयोजित दो दिवसीय व्याख्यानमाला के दूसरे दिन “समर्थ नारी, समर्थ भारत” विषय पर संबोधित कर रही थी. उन्होंने कहा कि हमारी बेटियों को उनकी राह से भटकाने में चार बड़े कारण हैं. पहला बालीवुड की फिल्में, जिसमें लव जिहाद, परिवार विखंडन को ध्यान में रखकर नेरेटिव सेट किया जाता है. टीवी सीरियल, जिनमें पूरे समय हिन्दू परिवार की महिलाएं एक दूसरे से लड़ती नजर आती हैं. एक म​हिला के एक इतने पति दिखाए जाते हैं कि समझ नहीं आता कि असली कौन सा है. हमारे कुटुंब को यही सीरियल बर्बाद कर रहे हैं. तीसरा बड़ा कारण है ओटीटी प्लेटफार्म, जो ऑफिस में काम करने वाली नारी के हाथ में शराब का गिलास बताकर उसे आधुनिका होने का अहसास करवाता है. एक पुरुष से घर की कई सारी म​हिलाओं के अनैतिक संबंध दिखाए जाते हैं. और चौथा बड़ा कारण है सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जिसमें फंसकर हमारे बच्चे गलत रास्तों पर जा रहे हैं. यदि नारी को समर्थ बनाना है तो उसे सही मार्ग दिखाने का जिम्मा हमारा है. काजल ने कहा कि इनके खिलाफ नारियों को डटकर खड़े होना होगा. हम भारत को विश्वगुरू बनाने की बात करते हैं, लेकिन हमारी पीढ़ी को भटकाव से नहीं रोक पा रहे हैं.

कार्यक्रम की शुरूआत न्यास के अध्यक्ष डॉ. अशोक पांडेय ने प्रस्तावना के साथ की. उन्होंने कहा कि भारत में नारी सदैव पूजनीय रही है. हमारे यहां हर तरह से नारी आगे है. यह तो ​बीच में विकृत्ति आ गई. अब ऐसा नेरेटिव सेट किया जा रहा है कि जैसे भारत में नारी को सती प्रथा के नाम पर जलाया जाता है. जबकि भारत में नारियों ने शासन किया है और कभी उनके विरुद्ध जनता खड़ी नहीं हुई. लेकिन इस्लाम में एक रजिया सुल्तान उनसे बर्दाश्त नहीं हुई. तख्ता पलट कर दिया.

इस अवसर पर शहर के कई गणमान्य नागरिक, बड़ी संख्या में महिलाएं और बुद्धिजीवी शामिल हुए.

कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर आई ज्योति रात्रे ने अपनी कहानी सुनाई. वे सर्वाधिक आयु में माउंट एवरेस्ट विजय करने वाली भारतीय महिला हैं. उन्होंने बताया कि वे सामान्य महिला थीं. अचानक उन्हें एवरेस्ट पर जाने की इच्छा जाग्रत हुई. ट्रेनिंग के अभाव में यू-ट्यूब देखकर तरीके सीखे. शरीर पर दस किलो वजन और पांव में दो किलो वजन लादकर पूरे दिन काम करती थी. 49 की उम्र में तैयारी शुरू की और 55 की उम्र में एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की. उन्होंने कहा कि नारी चाहे तो कुछ भी कर सकती है, लेकिन अपने सपनों में परिवार को जरूर साथ लें, वरना वो विजय अधूरी रहती है. कार्यक्रम में उनका विशेष सम्मान किया गया.

कार्यक्रम अध्यक्ष बीएमएचआरसी की निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में नारी समर्थ है. देश की कृषि में 43 फीसदी भागीदारी है. श्रम में 23 फीसदी हिस्सेदारी. कई क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें नारी के बगैर कल्पना भी नहीं कर सकते. अब यदि नारियों को और अधिक प्रशिक्षित किया जाए तो भारत समर्थ भी बनेगा और सशक्त भी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *