मेरठ. पर्यावरण संरक्षण गतिविधि मेरठ द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने के उद्देश्य से शोभित विश्वविद्यालय के प्रांगण में ११ कुण्डीय यज्ञ एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसके बाद मेरठ महानगर के ६ भागों से पर्यावरण संरक्षण चेतना साइकिल यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग २००० पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया. साइकिल यात्राओं का समापन भामाशाह पार्क में हुआ. यज्ञ में पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय सह संयोजक राकेश जैन, महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी महोदव आश्रम शुक्रताल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र संघचालक सूर्यप्रकाश टोंक, प्रांत प्रचारक अनिल, शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक रामावतार सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूज्य स्वामी महादेव ने कहा कि जल, जंगल, जमीन का संरक्षण एवं संवर्धन करना होगा. इसके लिए हमें अपनी संस्कृति के अनुसार जल संस्कार, भूमि संस्कार, वायु संस्कार आदि को दोबारा अपनाना होगा. पहले हर घर के आँगन में एक पेड़ होता था, अब बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनने से पेड़ कम हो गए हैं. अब हमें घर से ३०० मीटर के दायरे में एक बड़ा पेड़ सुनिश्चित करते हुए १०० मीटर और फिर १० मीटर का लक्ष्य हासिल करना है.
वक्ता राकेश जैन ने कहा कि केदारनाथ की जल त्रासदी, केरल की बाढ़, चेन्नई का भूजल संकट, गाजीपुर, दिल्ली का कूड़े का पहाड़, मुंबई में २०१५ में हुई अत्यधिक बारिश से सीवर के खुले मैनहोल में कार डूबने से हुई नागरिकों की असमय मृत्यु ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ध्यान अपनी और खींचा. जिससे पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम संचालन के लिए २०१९ में पर्यावरण संरक्षण गतिविधि का उदय हुआ. अब देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरण चेतना का काम चल रहा है, जिसके निमित्त यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है. उन्होंने उदाहरण दिया कि राजस्थान के भीलवाड़ा में जलस्तर १५० फीट पर था और कोटा से रेल द्वारा पानी सप्लाई होती थी. पर, अब जल संरक्षण के उपायों से १० फीट पर पानी उपलब्ध है.
डॉ. उमेश शुक्ला ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण का अर्थ जल, जंगल, जमीन, जानवर, जन पांचों का संरक्षण करने से है. जैव विविधता का प्रसार होगा, तभी हम मनुष्य को सुखमय जीवन प्रदान कर सकते हैं. जैव-विविधता का मानव जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है. जैव-विविधता के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन असंभव है. जैव-विविधता भोजन, कपड़ा, लकड़ी, ईंधन तथा चारा की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है. जैव-विविधता पर्यावरण प्रदूषण के निस्तारण में सहायक होती है. कुछ पौधों की विशेषता प्रदूषकों का विघटन तथा उनका अवशोषण होती है. सदाबहार (कैथरेन्थस रोसियस) नामक पौधे में ट्राइनाइट्रोटालुइन जैसे घातक विस्फोटक को विघटित करने की क्षमता होती है. सूक्ष्म-जीवों की विभिन्न प्रजातियाँ जहरीले बेकार पदार्थों की साफ-सफाई में सहायक होती हैं.
पौधों की कुछ प्रजातियों में मृदा से भरी धातुओं जैसे कॉपर, कैडमियम, मरकरी, क्रोमियम के अवशोषण तथा संचयन की क्षमता पायी जाती है. इन पौधों का उपयोग भारी धातुओं के निस्तारण में किया जा सकता है. भारतीय सरसों (ब्रैसिका जूनसिया) में मृदा से क्रोमियम तथा कैडमियम के अवशोषण की क्षमता पायी जाती है. जलीय पौधे जैसे जलकुम्भी (आइकार्निया कैसपीज), लैम्ना, साल्विनिया तथा एजोला का उपयोग जल में मौजूद भारी धातुओं (कॉपर, कैडमियम, आयरन एवं मरकरी) के निस्तारण में होता है. जैव-विविधता में संपन्न वन पारितंत्र कार्बन डाइऑक्साइड के प्रमुख अवशोषक होते हैं.
अतिथियों ने पर्यावरण संरक्षण चेतना साइकिल यात्रा का शुभारम्भ झंडी दिखाकर किया. सभी यात्राएं अंत में भामाशाह पार्क पहुंचकर पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ सम्पन्न हुई. साइकिल यात्रा में 1500 लोगों ने भाग लिया.