पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. अल्पसंख्यक चाहे हिन्दू हों या ईसाई. हर किसी पर अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. ताजा मामला पाकिस्तान पंजाब के गुजरांवाला के वजीराबाद का है. जहां ईसाई समुदाय की एक महिला तथा उसके बेटे को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर इस तरह के अत्याचार कोई नई बात नहीं हैं.
कुछ दिन पहले मां यासमीन और उसका बेटे उस्मान मसीह को मोहम्मद हसन की अगुवाई में आई इस्लामी भीड़ ने बेरहमी से मार डाला. दोनों मां-बेटे पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है. सोशल मीडिया पर इन दोनों मृतकों की तस्वीर वायरल हो रही है और लोग लगातार इमरान खान के साथ-साथ वैश्विक मानवाधिकार संगठनों से भी सवाल पूछ रहे हैं. लेकिन इमरान खान व उनकी सरकार ने बर्बर हत्याकांड पर चुप्पी साध रखी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहम्मद हसन नाम के शख्स ने भीड़ को उकसाने का काम किया और फिर बेकाबू हुई भीड़ ने दोनों को पीट-पीटकर मार डाला. पिछले दिनों ही यहां एक 13 साल की बच्ची का अपहरण कर जबरन इस्लाम कबूल करवा दिया था और फिर एक बुजुर्ग शख्स के साथ उसकी शादी करवा दी. इस दौरान बच्ची का परिवार रोते-बिलखते रहा, लेकिन किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ा.
उच्च न्यायालय तक पहुंचा मामला
पाकिस्तान उच्च न्यायालय में इसे लेकर सुनवाई भी हुई और उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक नाबालिग ईसाई लड़की को आश्रय गृह भेज दिया. लड़की के पिता की ओर से दर्ज करवाई गई प्राथमिकी के अनुसार कराची की रेलवे कॉलोनी निवासी 13 वर्षीय आरजू 13 अक्तूबर से लापता थी. बाद में पता चला कि उसका निकाह 45 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति से हो चुका है. लड़की को इस्लाम कबूल करवाया गया था. इस रिपोर्ट के बाद अदालत ने पुलिस को लड़की के तथाकथित पति के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया. हालांकि, लड़की ने सुनवाई में कहा कि उसे अगवा नहीं किया गया और उसने अपनी मर्जी से इस्लाम को अपनाकर अजहर से निकाह किया है.