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देश की 2000 से अधिक महिला अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश को भेजा ज्ञापन, एसआईटी का गठन कर हिंसक घटनाओं की निष्पक्ष जांच हो

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नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद जारी हिंसा को लेकर देशभर की महिला अधिवक्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजा है तथा बंगाल में जारी हिंसा विशेषकर महिलाओं व बच्चों के प्रति हिंसा को लेकर संज्ञान लेने का आग्रह किया है. ज्ञापन पर मेघालय से गुजरात और जम्मू कश्मीर से केरल तक 28 राज्यों तथा 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 2093 प्रतिष्ठित महिला अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख हिंसा पर चिंता व्यक्त की है. पश्चिम बंगाल में जिस प्रकार महिलाओं और बच्चों को हिंसा का शिकार होना पड़ा है, उससे क्षुब्ध व चिंतित होकर मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है.

पत्र में पश्चिम बंगाल में महिलाओं व बच्चों के साथ हुई हिंसा का उल्लेख किया गया है, पत्र में ऐसी कई वीभत्स घटनाओं का जिक्र भी किया गया है. पीड़ितों ने हस्ताक्षरकर्ताओं को अपनी आपबीती सुनाई है.

आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन ने हिंसा करने वाले गुंडों की सहायता की, नागिरकों की सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाए, न ही पीड़ितों की शिकायतें दर्ज की गईं. इससे स्पष्ट है कि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है. महिला अधिवक्ताओं ने मीडिया की भूमिका पर अंसतोष व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया भी बंगाल हिंसा की वास्तविकता न दिखाकर चुप्पी साधे हुए है. वर्तमान स्थिति को नहीं दिखाया जा रहा है.

देशभर की महिला अधिवक्ताओं का सर्वोच्च न्यायालय पर विश्वास का ही प्रमाण है कि केवल 60 घंटे की अवधि में महिला अधिवक्ताओं के प्रतिवेदन को सहमति प्रदान कर हस्ताक्षर करने वाली अधिवक्ताओं की संख्या 2000 के आंकड़े को पार कर गई. इससे स्पष्ट है कि देशभर की महिला अधिवक्ता एकजुट होकर बंगाल हिंसा में पीड़ितों के साथ खड़ी हैं.

मुख्य न्यायाधीश को भेजे प्रतिवेदन में एसआईटी का गठन कर निष्पक्ष जांच करने की मांग की गई है. इसके साथ ही महिला अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश से मांग की है कि …..

ए. हिंसा की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए शीघ्र एसआईटी का गठन किया जाए ताकि जैसा मीडिया रिपोर्ट कहती है कि बदले की कार्रवाई और हिंसा, व मारे गए लोगों के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करके जांच शुरू हो सके.

बी. बंगाल की हिंसा की जांच सीधे कोर्ट की निगरानी में समयबद्ध अवधि में करवाई जाए. साथ ही मामलों के त्वरित निपटान के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाए.

सी. पश्चिम बंगाल की सरकार को चुनाव के बाद की हिंसा में मारे गए पीड़ितों के परिवार वालों को व घायलों को उचित क्षतिपूर्ति प्रदान की जाए. साथ ही प्रभावितों को संपत्ति की क्षति आपूर्ति की जाए.

डी. असम, बिहार, उड़ीसा और झारखंड के पुलिस महानिदेशकों को उनके राज्यों में शरण लेने वाले लोगों का डाटा तैयार करने के निर्देश दिये जाएं.

ई. पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को निर्देशित किया जाए कि प्राथमिक स्तर पर प्रतिदिन कोर्ट के समक्ष विभिन्न माध्यमों से पुलिस को प्राप्त होने वाली शिकायतों के लिए शिकायत निवारण तंत्र का निर्माण किया जाए.

एफ. पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए जाएं कि जो लोग अपने गृह राज्य लौटना चाहते हैं, उन्हें पूरी सुरक्षा प्रदान की जाए.

जी. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल सुरक्षा आयोग, अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग को निर्देश दिया जाए ताकि आम लोगों के अधिकारों का संरक्षण किया जा सके.

 

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