नई दिल्ली. बांग्लादेश में आंदोलन के पश्चात सत्ता परिवर्तन एवं उसके बाद हिन्दू, बौद्ध, क्रिश्चियन तथा वहाँ के अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के साथ लगातार हिंसा की घटनाएं हो रही हैं. यह पूरे भारत सहित विश्व के लिए भी चिंता का विषय है. सभ्य समाज में ऐसी घटनाओं का कोई स्थान नहीं है.
बांग्लादेश में हिन्दू तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की लक्षित हत्या, लूटपाट, आगज़नी, महिलाओं के साथ जघन्य अपराध तथा मंदिर एवं अन्य श्रद्धास्थानों पर हमले जैसी असहनीय क्रूरता के खिलाफ एवं अत्याचार समाप्त करने के लिए भारत सहित पूरे विश्व में प्रयास हों, इसके लिए नारी शक्ति फोरम ने 16 अगस्त, 2024 को दिल्ली के मंडी हाउस से जंतर मंतर तक मौन विरोध प्रदर्शन नारी शक्ति मार्च के रूप में किया.
मार्च में समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में कार्यरत एवं सक्रिय महिलाओं ने हिस्सा लिया. इसमें बड़ी संख्या में प्रोफेसर, अध्यापिकाएं, डॉक्टर, महिला अधिवक्ता, बैंक कर्मी, इंजीनियर, नर्स, गृहणी, उद्योगकर्मी, रिटायर्ड आईपीएस, आईएफएस और आईएएस महिला अधिकारी शामिल थीं. बांग्लादेश में प्रताड़ना के शिकार बने हिन्दू, बौद्ध इत्यादि समुदायों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करने तथा उनके साथ हो रही हिंसा का विरोध करने के लिए एवं उपस्थित जन समुदाय ने अपने मुख पर काली पट्टी बांध रखी थी.
नारी शक्ति फोरम की संयोजिका मोनिका अरोड़ा, पदमश्री से सम्मानित जानी-मानी कथक नृत्यांगना उमा शर्मा, बांग्लादेश में भारत की राजनयिक रहीं सीमा सीकरी तथा जेएनयू की प्रोफेसर ज्योति राज एवं अनेक प्रबुद्ध महिलाओं ने मंडी हाउस एवं जंतर मंतर पर प्रदर्शन को संबोधित किया.
जंतर मंतर पर वक्ताओं ने याद दिलाया कि आज 16 अगस्त है. आज ही के दिन 16 अगस्त, 1946 को द्विराष्ट्र सिद्धांत पर भारत को तोड़ते हुए अलग देश पाकिस्तान की मांग मनवाने के लिए मुस्लिम लीग ने कलकत्ता में डायरेक्ट एक्शन डे की शुरूआत की थी. जिसमें हजारों हिन्दुओं की हत्या कर दी गई थी. वर्तमान में बांग्लादेश में फिर वही दोहराया जा रहा है. बांग्लादेश में हिन्दुओं की संपत्तियों को छिना जा रहा है, लूटा जा रहा है, बच्चियों का अपहरण करके उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म जैसे दुष्कृत्य किए जा रहे हैं. कट्टरपंथी जमातों के हमलों से वहां रहने वाले लाखों हिन्दू परिवार दिन-रात खौफ में जी रहे हैं.
हर मुद्दे पर अपनी राय रखने वाले भारत के राजनेता, बॉलीवुड के अभिनेता और तथाकथित धर्म निरपेक्ष सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश में हिन्दुओं एवं अन्य अल्पसंख्यक के खिलाफ हो रही हिंसा पर चुप्पी साध रखी है. उनके लिए हिन्दुओं का मानवाधिकार कोई मायने नहीं रखता है. यह सोच मानवता के लिए चिंतनीय है.
भारत की जनता बांग्लादेश में प्रताड़ना झेल रहे हिन्दुओं, अन्य अल्पसंख्यकों के साथ है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से मांग है कि वह तुरंत सख़्ती से ऐसी घटनाओं पर रोक लगाए और पीड़ितों के जान, माल व सम्मान की रक्षा तथा सम्मानपूर्ण जीवन जीने का अधिकार सुनिश्चित करे.
बाद में इस संबध में नारी शक्ति फोरम द्वारा महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को एक ज्ञापन प्रेषित किया गया.
ज्ञापन में कहा गया है कि बांग्लादेश में हिन्दू एवं अन्य अल्पसंख्यक समाज के अस्तित्व पर संकट आ गया है. विश्व के सबसे बड़ा लोकतंत्र होने एवं बांग्लादेश के साथ गहरे सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक संबंधों के कारण भारत इन असहायों की रक्षा हेतु निर्णायक कार्रवाई करने के लिए अद्वितीय स्थिति में है. हमें विश्वास है कि आपका सम्मानित कार्यालय इस गंभीर मानवीय संकट को दूर करने के लिए तेजी से कार्रवाई करेगा.