उदयपुर. ‘मानवता के लिए योग’ के साथ आज ‘राष्ट्रयोग’ को प्रखर बनाने की आवश्यकता है. देश के युवा योग के माध्यम से स्वयं के आंतरिक व बाह्य रूप को सशक्त करने के साथ राष्ट्र को भी हर दिशा में शक्ति सम्पन्न बनाने की दिशा में अपनी भूमिका का निर्वहन करें.
बांसवाड़ा के ईश्वरानंद ब्रह्मचारी उपाख्य उत्तम स्वामी जी महाराज ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भारतीय संस्कृति अभ्युत्थान न्यास, आरोग्य भारती व एनएमओ की ओर आयोजित योग प्रशिक्षण एवं चिकित्सा शिविर के समापन समारोह में युवाशक्ति को संबोधित किया. नगर निगम प्रांगण स्थित सुखाड़िया रंगमंच पर आयोजित समारोह में कहा कि आज धर्म को सही रूप में अंगीकार करने की आवश्यकता है. जिस भी सम्प्रदाय से हम आते हैं, उसके धर्म का पालन उस सम्प्रदाय के व्यक्ति का कर्तव्य है. किन्तु वह चौराहों पर प्रदर्शित करने की वस्तु नहीं है. सार्वजनिक रूप से यदि प्रदर्शित करना ही है तो वह हमारा राष्ट्रधर्म होना चाहिए, समस्त भारतवासियों को एकात्म भाव से सम्पूर्ण देश और समस्त समाज के कल्याण का संकल्प प्रदर्शित करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारतीय प्राचीन शास्त्रों में यम, नियम, संयम, प्राणायाम, ध्यान, धारणा, उपासना, समाधि आदि का गूढ़ वर्णन अंकित है. शरीर मुद्रा, शब्द मुद्रा, ज्ञान मुद्रा, अर्थ मुद्रा भी बताई गई हैं. लेकिन, आज के समय में हम शरीर अर्थात् इस मानव जन्म के धर्म के प्रति अज्ञानी हो गए हैं, अर्थ मुद्रा सर्वोपरि हो गई है. योग सिर्फ शरीर को स्वस्थ नहीं बनाता, वह मन को भी शुद्ध और निर्मल बनाता है और जब मनुष्य का मन निर्मल होता है, तब उसके भाव स्वतः शुद्ध हो जाते हैं और वह सात्विकता की राह पर बढ़ते हुए मनुष्य जीवन की सार्थकता को सिद्ध करता है.
समारोह के मुख्य अतिथि जर्नादन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि योग हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा है और संस्कृति जीवन जीने की पद्धति होती है. कोरोना काल में जब कई लोग मानसिक रूप से कमजोर होने लगे तब योग ने उन्हें सम्बल प्रदान किया. आज योग की इस विरासत को नई पीढ़ी तक ले जाना चुनौती है और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस इस दिशा में बढ़ाया गया महत्वपूर्ण कदम है.
कार्यक्रम के आरंभ में योग शिक्षक तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्रीवर्धन ने योग प्रशिक्षण एवं चिकित्सा शिविर के बारे में बताया कि कोरोनाकाल के चलते यह शिविर दो वर्ष बाद आयोजित हो सका. इस बार शिविर में 15 शिक्षकों ने सहभागिता की. सभी योग शिक्षकों का अतिथियों द्वारा अभिनंदन भी किया गया.
न्यास के सचिव पंकज पालीवाल ने न्यास के सेवाकार्यों की जानकारी दी. न्यास की ओर से शीघ्र ही घुमन्तू समुदाय के बच्चों के लिए छात्रावास भी शुरू किया जाएगा.