भीलवाड़ा में कार्यकर्ता बैंक में चेक व नक़दी जमा कराने पहुँचे. काफी सारे चेक देखकर बैंककर्मी के माथे पर शिकन आ गई. बैंककर्मी की स्थिति को भांपते हुए एक कार्यकर्ता ने आग्रह किया कि आपकी सीट ख़ाली है, मैं स्वयं कम्प्यूटर का जानकार हूँ…. यदि अनुमति दें तो यहाँ बैठकर सारी फीडिंग मैं कर देता हूँ.
कार्यकर्ता के सहयोग और समर्पण भाव को देख बैंक कर्मी ने भाव विह्वल होकर कहा – आपको संघ कैसी घुट्टी पिलाता है? गत एक महीने से लगातार गांव-गांव और घर-घर जाकर दिनभर धन एकत्रित करते हो, प्रतिदिन बैंक में हिसाब भी देने आते हो, इतने समय समर्पण के बाद भी आप में इतनी शक्ति है कि आप हमारे सहयोगी बनने के लिए तत्पर हो… कहां से आती है, आपके अंदर समर्पण की यह भावना? सचमुच धन्य है यह संगठन..
कार्यकर्ता मुस्कुरा दिया और मन में चल रहा था…..मन मस्त फकीरी धारी है, बस एक ही धुन जय-जय भारत…..
यह धन संग्रह नहीं, बल्कि जन-संग्रह का अभियान है
चित्रकूट. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का वर्षो पुराना सपना साकार हो रहा है. कार्य के लिए हम सब तन मन धन से सहयोग कर रहे हैं. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर समस्त देशवासियों के सहयोग से पूर्ण होगा.
निधि समर्पण एवं जन संपर्क अभियान के तहत दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं की टोली ने घर-घर जाकर निधि संग्रह किया. लोगों ने जय श्रीराम के जयघोष के साथ निधि समर्पण किया.
दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि अभियान का मुख्य उद्देश्य किसी प्रकार का धन संग्रह नहीं, बल्कि जन-संग्रह है. इससे अधिकाधिक लोग भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर से सीधा जुड़ सकेंगे. वे गर्व से कह सकें कि यह मंदिर हमारा है. तभी ये सिर्फ राम मंदिर नहीं, अपितु राष्ट्र मंदिर कहलाएगा. यह अभियान ना तो दान का है, ना ही चंदे का, ना उगाही का है और ना ही वसूली का. यह तो भगवान को भक्त के श्रद्धापूर्वक समर्पण का पुनीत अभियान है.
अभियान के अन्तर्गत चित्रकूट की ‘सेवा बस्ती’ में सभी परिवारों ने स्वेच्छा से बढ़ चढ़कर सहभागिता की, और अपनी क्षमतानुसार किसी ने 10 रुपये, किसी परिवार ने 100 रुपये तथा किसी और भी अधिक सहयोग का समर्पण श्रद्धापूर्वक किया.