रांची (विसंकें). वन में राम, मन में राम, सुंदर बने उनका धाम…इसी भाव के साथ अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण में सहयोग कर जनजाति समाज भी स्वयं को सौभाग्यशाली मान रहा है. जनजातीय समाज का भगवान राम से पुराना नाता है. वनवास की अवधि के दौरान श्रीराम जनजातीय समाज के साथ जंगलों में रहे थे. श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर चल रहा निधि समर्पण अभियान उन्हें रोमांचित कर रहा है.
झारखंड के जंगलों व पहाड़ों के बीच रहने वाले जनजातीय परिवारों के बीच निधि समर्पण अभियान में लगे कार्यकर्ता पहुंचे तो सबने पलकें बिछाकर स्वयंसेवकों का स्वागत किया. श्रद्धा और आस्था की बातें हुईं, लोगों की आंखें नम हो गईं. कहा, जिन रामजी के साथ 14 वर्षों तक हमारे पूर्वज रहे उनके मंदिर निर्माण में सहयोग करने का हमें आप लोगों ने अवसर दिया, इसके लिए जीवन भर आभारी रहेंगे.
लातेहार की जनजाति परहिया, खेरवार, बिरहोर और गुमला के बिरिजिया जनजाति समाज के लोगों ने कहा – इस जंगल में आता कौन है. अहो भाग्य मेरा कि मेरे गांव में प्रभु राम के लिए कोई आए हैं. देने की इच्छा तो बहुत है, लेकिन घर में कुछ है नहीं. हम लोगों से जो बन रहा, रामकाज के लिए समर्पण कर रहा हूं. हमारे पूर्वज भी धन्य हो गए. यह सुखद पल हमें देखने को मिला.
कई किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे लोग
लातेहार सदर प्रखंड के सुदूर पहाड़ों से घिरे गुड़पानी गांव में जनजाति परहिया के सैकड़ों परिवार रहते हैं. कई किलोमीटर पैदल चलकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ता दीपक ठाकुर, राम गणेश सिंह व वीरेंद्र प्रसाद जब इस गांव में पहुंचे तो गांव के चमन परहिया ने कहा, भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान हमारे पूर्वज उनके साथ रहे.
उनके मंदिर के लिए धन देना हमारे लिए सौभाग्य की बात है. कलेशर परहिया ने कहा, हम लोग उन जंगलों के बीच निवास करते हैं, जहां ऋषि-मुनि तपस्या करते थे और हमारे पूर्वजों को आशीर्वाद देते थे. हमारे पूर्वज धर्म की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे हैं. महाभारत युद्ध के समय भी हमारे पूर्वज पांडव के साथ थे. दीपक ठाकुर ने कहा कि ऐसे रामभक्तों से मिलकर मन प्रफुल्लित हो गया.
धर्म और संस्कृति को छोड़ नहीं सकते
लातेहार के होसीर गांव में चेरो जनजाति के बीच जब मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए लोग पहुंचे तो सभी ग्रामीणों ने खुलकर सहयोग किया. कहा, चेरो जनजाति के वंशज चमन ऋषि हैं. इसलिए उनका गोत्र चमन ऋषि है. उनके आराध्य देव भगवान राम हैं. हम अपने धर्म और संस्कृति को कभी छोड़ नहीं सकते है. हमारा जीवन ही धर्म से जुड़ा है. धर्म बिना संस्कार नहीं आता है. दान देना हमारे संस्कार का विषय है.
लातेहार के बिनगाड़ा गांव में जनजाति बिरहोर परिवार के बीच जब मंदिर निर्माण में सहयोग लेने के लिए लोग पहुंचे तो मुन्ना बिरहोर, लखन बिरहोर, सुमिता बिरहोर ने घर में जो रुपया था, लाकर दिया. कहा, देने की तो बहुत इच्छा है, पर अभी जो है वहीं दे रहे हैं. लोगों ने 10 रुपये से लेकर 100 रुपये तक की राशि दी.