जम्मू कश्मीर. स्वतंत्रता के पश्चात अब जाकर जम्मू कश्मीर में सही अर्थों में लोकतंत्र स्थापित होगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम 1989 को लागू करने को स्वीकृति प्रदान कर दी. इससे जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य हिस्सों की तरह ही त्रि-स्तरीय लोकतंत्र की स्थापना हो सकेगी.
इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में पहली बार जिला विकास परिषद के चुनाव की तैयारी भी शुरू हो गई है. निर्वाचित परिषदों के गठन और उनके निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए सरकार ने अहम फैसला लेते हुए पंचायत राज नियम 1989 में संशोधन किया. इसके साथ जम्मू कश्मीर में संविधान का 73वां संशोधन लागू हो गया.
प्रदेश में प्रत्येक जिले में जिला विकास परिषद बनेगी तथा जिला विकास परिषद में 14 सदस्य चुने जाएंगे. परिषद के सदस्यों को नगर पालिका और नगर निगम को छोड़ सभी फैसले लेने का अधिकार होगा. अनुसूचित जातियों, जनजातियों व महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित होंगी. परिषद के सदस्य ही चेयरमैन का चुनाव करेंगे.
इससे पहले जम्मू कश्मीर में कभी जिला विकास परिषदों का गठन नहीं हुआ. जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने से पहले जिला विकास बोर्ड थे, जिनकी अध्यक्षता कैबिनेट मंत्री या फिर कोई राज्यमंत्री करता था. पंचायत राज अधिनियम में संशोधन के साथ जम्मू कश्मीर में त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था की पूर्ण बहाली का रास्ता साफ हो गया है.
जम्मू कश्मीर पंचायत राज अधिनियम में संशोधन के बाद प्रत्येक जिला परिषद के दायरे में संबंधित जिले के नगर निकाय नहीं होंगे. निकायों को अलग कर पूरे जिले में 14 निर्वाचन क्षेत्र बनाए जाएंगे. इन क्षेत्रों से जिला परिषद के लिए 14 प्रतिनिधियों का चुनाव होगा. संबंधित जिला परिषद के दायरे में आने वाले विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का विधायक या फिर पूरे जिले के विधायक, सभी ब्लॉक विकास परिषदों के चेयरमैन सदस्य रहेंगे. संबंधित अतिरिक्त जिला विकासायुक्त जिला विकास परिषद के सीईओ की जिम्मेदारी निभाएंगे. जिला परिषद में विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर मतदान की प्रक्रिया में सभी निर्वाचित और नामांकित सदस्य भाग ले सकते हैं, लेकिन जिला परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को हटाने व उसके निर्वाचन के लिए मतदान में आम लोगों द्वारा सीधे मतदान के जरिए चुने 14 प्रतिनिधि भाग ले सकेंगे, अन्य सदस्य नहीं.
संशोधन के अनुसार, प्रत्येक जिला विकास परिषद में वित्तीय, विकासात्मक, लोक कार्यों, स्वास्थ्य-शिक्षा और जन कल्याण सबंधी मामलों के लिए अलग -अलग स्थायी समिति होगी. प्रत्येक जिले के लिए जिला योजना समिति बनेगी, जिसमें संबंधित क्षेत्र से जुड़ा सांसद, संबंधित क्षेत्र से निर्वाचित विधायक, सभी जिला विकास परिषदों और ब्लॉक विकास परिषदों के चेयरमैन, जिले के सभी नगर निकायों के चेयरमैन, जिला विकासायुक्त, अतिरिक्त जिला विकास आयुक्त, जिला सांख्यिकी एवं आकलन अधिकारी, मुख्य योजनाधिकारी बतौर सदस्य रहेंगे. सभी जिलास्तरीय प्रशासनिक अधिकारी समिति के एक्स आफिशियो सदस्य होंगे.