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औबेदुल्लागंज दंगा – नवाब हसन, सलमान, फरहान, फैजल, नवेद, दिलशाद सहित कुल 14 लोगों को आजीवन कारावास

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प्रतीकात्मक चित्र

भोपाल. रायसेन जिले के अंतर्गत औबेदुल्लागंज में वर्ष २०१० में हुए दंगे व नगर परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष के भतीजे रूपेश राजपूत की हत्या, आगजनी और बलवा करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश शरद भामकर ने 14 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

इसमें नवाब हसन पुत्र अजीज हसन, सलमान हसन पुत्र मसूद, फरहान हसन पुत्र अफजाल हसन, फैजल हसन पुत्र अफजाल हसन, नवेद हसन पुत्र नवाब हसन, दिलशाद हसन पुत्र इकबाल हसन, रेहान हसन पुत्र अफजल हसन, गुफरान हसन पुत्र इसरार हसन, अफजाल हसन पुत्र अजीज हसन, साजिल हसन पुत्र रईस हसन, नौसाद हसन पुत्र इकबाल हसन, सादाब हसन पुत्र इकबाल हसन, व एक अन्य को आजीवन कारावास के साथ ही 1000-1000 रुपये का अर्थदण्ड भी लगाया. आजीवन कारावास की सजा सुनाने के बाद आरोपियों को जेल भेज दिया गया.

हिंसा की घटना में १७ लोगों को आरोपी बनाया गया था, इनमें से एक आरोपी की मौत हो चुकी है और दो आरोपी नाबालिग थे.

घटना 6 जून, 2010 की है. जिसमें औबेदुल्लागंज नगर परिषद के अध्यक्ष तूफान सिंह राजपूत एक विवाह समारोह में गए थे, वहां नवाब हसन से उनकी कहासुनी के बाद मारपीट हो गई थी. अध्यक्ष के भाइयों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें बचाया था.

इसके बाद तूफान सिंह अपने घर आ गए, लेकिन मारपीट करने वाले सभी आरोपी बड़ी संख्या में एकत्रित होकर उनके घर पहुंच गए. यहां लाठी, फरसा, बैसबॉल के बैट, तलवार से हमला करने के साथ ही बंदूक से फायरिंग भी की गई.

गोली लगने से नप अध्यक्ष के भतीजे रूपेश राजपूत की मौत हो गई थी, जबकि जयसिंह उर्फ जैकी और हरपाल घायल हुए थे. आरोपियों ने इन पर बंदूक से फायरिंग करके घायल कर दिया था. इस घटना के बाद औबेदुल्लागंज में तनाव की स्थिति बन गई. पुलिस और प्रशासन ने पहुंचकर मोर्चा संभाला था.

घटना के बाद औबेदुल्लागंज में 24 दिन तक तनाव, दंगा, बलवा और आगजनी की स्थिति बनी थी, तब प्रशासन को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए वहां पर कर्फ्यू तक लगाना पड़ा था. तब जाकर 4 दिन में स्थिति में कहीं सुधार आया था.

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