करंट टॉपिक्स

अमृत महोत्सव पर हम स्वधर्म, स्वराज्य तथा स्वाभिमान को जगाएं – अद्वैतचरण जी

Spread the love


जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अद्वैतचरण जी ने कहा कि “समय आ गया है कि हम सुभाष चंद्र बोस के प्रेरक जीवन से युवाओं को जोड़ें. सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर परिचर्चा मात्र न करें, अपितु स्वयं परिश्रम करके अगले दो दशकों में भारत को श्रेष्ठ, समृद्ध तथा गौरवशाली बनाएँ.”

अद्वैतचरण जी जयपुर की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में ऑनलाइन माध्यम से आयोजित सुभाष चंद्र बोस जयंती कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.

कार्यक्रम के प्रारंभ में नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण हुआ. तत्पश्चात अद्वैतचरण जी ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के साथ डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार, वीर सावरकर, तथा लाल बाल पाल के निकट वैचारिक संबंध रहे तथा इन सबने मिलकर योजनापूर्वक देश की स्वाधीनता के लिए अपने-अपने क्षेत्र में कार्य किया. इन तथ्यों का विस्तार से अध्ययन करना चाहिए.

यह भी तथ्य है कि डॉ. हेडगेवार की मृत्यु से ठीक एक दिन पूर्व अर्थात 20 जून, 1940 को सुभाषचंद्र बोस उनसे भेंट करने आए थे. किंतु डॉ. हेडगेवार का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण उन्हें प्रणाम कर चले गए. यदि इन दोनों महापुरुषों को एक साथ कार्य करने का अधिक समय मिलता तो आज परिदृश्य कुछ भिन्न होता.

सुभाष चंद बोस ने अखंड भारत का स्वप्न देखा था. आजाद हिंद फौज के माध्यम से उन्होंने 1943 तक देश के कई भाग स्वाधीन करवा लिए थे. भारत के बाहर उन्होंने  भारत की पहली स्वाधीन सरकार का गठन किया था. इस प्रकार उन्हें अखंड भारत का प्रथम प्रधानमंत्री कहना अनुचित नहीं होगा. सुभाष चंद्र बोस ने ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया, किंतु उन्हें भारत के ही कतिपय नेताओं का समर्थन नहीं मिला.

आज भारत अपने महापुरुषों के विषय में बात कर रहा है. अखंड भारत की पुनःस्थापना का परिदृश्य उभर रहा है. जिन स्थानों को भारत से काटने का षड्यंत्र था, आज वहां तिरंगा फहरा रहा है. सुभाष जैसे महापुरुषों ने सिखाया कि भारत मात्र भूभाग नहीं, अपितु यह तो जाग्रत भारत माता है. स्वाधीनता के अमृत महोत्सव पर हम स्वधर्म, स्वराज्य तथा स्वाभिमान को जगाएं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *