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जनजाति क्षेत्र की समस्याओं की चर्चा बहुत की जाती है। आंदोलनजीवी अनेक संगोष्ठियों, आंदोलनों, रैलियों, मीडिया में चर्चा आयोजित करते रहते हैं। लेकिन समस्या के समाधान के लिये धरातल पर कोई प्रयास नहीं करते।
आंदोलनजीवियों की विपरीत वनवासी कल्याण आश्रम ने बारीपाडा में नई कहानी लिखी। और इस कहानी के नायक बने चेतराम भाऊ। समस्या की केवल चर्चा नहीं.. समाधान भी निकल सकता है। उस समाधान का नाम है पद्मश्री चेतराम भाऊ पवार।
डॉ. आनंद जी फाटक एमडी मेडिसिन की शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में चिकित्सक के नाते बारीपाडा पहुंचे। वहां युवा चेतराम से संपर्क हुआ। स्नातक तक की शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात सरकारी नौकरी पाना चेतराम जी को सहज संभव था। किन्तु, यह मार्ग न चुन बारीपाडा के विकास का लक्ष्य लेकर आगे बढ़े। बारीपाडा स्थित ग्रामवासियों को साथ लेकर प्रयास प्रारंभ किया।
गाँव की अपनी एक आचार संहिता बनी। गाँव के सभी ग्रामवासियों की सहभागिता लगातार बढ़ती गयी। 445 हेक्टेयर जंगल का निर्माण हुआ। बारीपाडा गाँव धीरे धीरे प्रगति की ओर बढ़ा। हर वर्ष वन सब्जी महोत्सव का आयोजन हुआ। नगरीय क्षेत्र के लोग भी बड़ी संख्या जुड़ते गए। बारीपाडा विकास का उदाहरण बन गया।