शिमला. आरोग्य भारती हिमाचल प्रदेश एवं अमृत हिमालय फाउंडेशन द्वारा कोविड तनाव एवं अवसाद का योग से समाधान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. तरंग संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रुप में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि कोरोना जनित तनाव एवं अवसाद से निपटने में योग अभ्यास रामबाण है. कोरोना में पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है. सकारात्मक सोच एवं व्यवहार रखते हुए योग, प्राणायाम, भ्रामरी तथा ऊं उच्चारण का नियमित अभ्यास तनाव, भय, निराशा और डिप्रेशन के प्रभाव को कम करने में सहायक है. आधा-आधा घंटा प्रातः, दोपहर एवं सायंकाल भोजन से पहले नियमित अभ्यास से कोरोना वायरस से बचाव, श्वसन प्रणाली जैसे फेफड़े, सांस की नलियों, नाक-गला-कंठ को बल मिलता है. योग अभ्यास से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ मनोबल, आत्मबल को ऊंचा रखने तथा पॉजिटीविटी बनाए रखने में अप्रत्याशित लाभ मिलता है.
संगोष्ठी में पतंजलि युनिवर्सिटी से प्रोफेसर जी.डी. शर्मा, आरोग्यम इंस्टिच्यूट इंग्लैंड की निदेशक डॉ. नेहा शर्मा तथा योग विद्या गुरुकुल नाशिक के निदेशक प्रवीण देशपांडे ने विशिष्ट वक्ता के रूप में अपने-अपने उद्बोधन में योग के विभिन्न प्रयोगों से तनाव मुक्ति के अनुभव प्रतिभागियों से सांझा किए. आरोग्य भारती हिमाचल प्रदेश एवं अमृत हिमालय फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित संगोष्ठी के डॉ. राकेश पंडित ने कहा कि तनाव एवं पैनिक होने से शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की मांग 20% तक बढ़ सकती है. डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, प्राणायाम, भ्रामरी तथा ओम् का उच्चारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के साथ-साथ तनाव, हताशा और डिप्रेशन को दूर करने में लाभकारी है. योगाभ्यास द्वारा अपना मनोबल बनाए रखने से इम्युनिटी बढ़ाने सहायता मिलती है. कोरोना की दूसरी लहर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय, आयुष काढ़ा पीना, मास्क, स्वच्छता एवं फिजिकल दूरी का पालन करना अति आवश्यक है. डॉ. राकेश पंडित ने आरोग्य भारती हिमाचल की टीम को बधाई देते हुए कहा कि लगातार स्वास्थ के समसामयिक विषयों पर संगोष्ठियों का आयोजन कर आरोग्य भारती रि-ओरियंटेशन एवं जनजागरण का श्रेष्ठ काम कर रही है. कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनिल भारद्वाज ने किया.