देहरादून. बाढ़ और अचानक आए फ्लड के कारण जान-माल का काफी नुकसान होता है. उत्तराखंड की दिल दहला देने वाली केदारनाथ त्रासदी अभी भी याद है. फ्लैश फ्लड की समय पर सूचना मिलने से जान-माल का नुकसान रोका जा सकता है. समस्या को ध्यान में रखते हुए आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र और उसके साथियों ने एक फ्लड अलर्ट सिस्टम बनाया है. इस सिस्टम को लेकर प्रयोग भी हो रहा है और सिस्टम प्रभावी भूमिका निभा रहा है. उत्तराखंड में केंद्रीय जल आयोग उपकरण के साथ सतत निगरानी कर रहा है. बाढ़ से पहले ही जलस्तर का आकलन कर सिस्टम अलर्ट कर रहा है.
दो वर्ष के शोध के बाद आईआईटी से वाटर रिसोर्सेज ब्रांच में एमटेक करने वाले छात्र श्रीहर्षा सहित 15 लोगों की टीम ने सिस्टम तैयार किया है. श्रीहर्षा की कंपनी कृत्सनम टेक्नोलॉजी स्टार्टअप ने 2017 में इसे विकसित किया. इसमें बाढ़ से पहले व तत्काल स्थिति का डाटा रिकार्ड किया जा सकता है.
फ्लड मानिटरिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित अलर्ट सिस्टम में रडार वाटर लेवल सेंसर का उपयोग किया गया है. यह उपकरण किसी भी नदी व तालाब के ऊपर लगाया जाता है. यह जलस्तर नापकर हर 10 मिनट में डाटा रिपोर्ट भेजता है. और 40 मीटर तक जलस्तर की घटत व बढ़त बता सकता है. सेल्युलर नेटवर्क व सेटेलाइट के माध्यम से ऑनलाइन डाटा भेजने में सक्षम है और नदी की स्थिति का ब्योरा एकत्र करके उसे सर्वर पर भेजता है.
यह उपकरण भेजे गए डाटा का विश्लेषण भी करता है. सर्वर से कई मोबाइल जोड़े जा सकते हैं, जिन पर अलर्ट आता है. श्रीहर्षा के अलावा कृत्सनम टेक्नोलॉजी के संस्थापक सदस्य आईआईटी के पूर्व छात्र पृथ्वी सागर, विनय चटराजू व नीरज राय का उपकरण को बनाने में विशेष योगदान है. इसके अलावा आईआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. शिवम त्रिपाठी मेंटर हैं. उन्होंने इसकी क्षमता को अयोध्या में सरयू नदी पर परखा था.
उत्तराखंड में आठ सेंसर दे रहे जानकारी
श्रीहर्षा ने बताया कि बाढ़ की जानकारी देने को उत्तराखंड में उत्तरकाशी, चमियाला, चिनका, नंद प्रयाग, विष्णु प्रयाग, रुद्र प्रयाग, देव प्रयाग व कर्ण प्रयाग में ऐसे आठ सेंसर लगे हैं. इन सेंसर को सर्वर से जोड़ा गया है. इस सिस्टम की लागत डेढ़ लाख रुपये आई है. यह सर्वर के माध्यम से ई-मेल, वाट्सएप व एसएमएस के जरिए बाढ़ की सूचना देता है. सामान्य से जलस्तर बढ़कर बाढ़ की स्थिति में पहुंचने पर यह महज दो मिनट में अलर्ट देने लगता है. इससे एक या ज्यादा मेल आईडी व मोबाइल नंबर जोड़े जा सकते हैं.
चमोली में इस सिस्टम ने बड़ा काम किया. समय-समय पर यह उपकरण केंद्रीय जल आयोग को जलस्तर का अपडेट देता रहा. इसका डाटा केंद्रीय जल आयोग के सेंटर ने ट्विटर पर अपलोड करने के साथ संबंधित अधिकारियों को भेजा था.
इनपुट साभार – दैनिक जागरण