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धर्म, संस्कृति, परंपरा और मूल्यों की रक्षा करना ही राष्ट्रकार्य – भय्याजी जोशी

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नासिक. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भय्याजी जोशी ने कहा कि धर्म, संस्कृति, परम्परा एवं जीवन मूल्यों की रक्षा करना ही राष्ट्रकार्य है. संत तुकाराम महाराज ने मंत्र बताया है कि “रात और दिन हमारे लिए युद्ध का काल है”. इसलिए हमें कठोर होना होगा और कुछ समय राष्ट्रकार्य के लिए देना होगा.

राष्ट्र सेविका समिति की कार्यकर्ताओं के लिए “राष्ट्र कार्य में मातृशक्ति की भागीदारी” विषय पर आयोजित विशेष बौद्धिक वर्ग में भय्याजी जोशी ने सहभागिता की. सुदर्शन लॉन, वडाला पाथर्डी रोड, इंदिरानगर में आयोजित कार्यक्रम संवादात्मक कार्यक्रम था. जिसमें सेविकाओं ने विभिन्न विषयों पर प्रश्न पूछे, जिनका भय्याजी जोशी ने उत्तर दिया.

स्वयंसेविकाओं की ओर से पूछा गया कि महिलाएं किस प्रकार राष्ट्रीय कार्य में भाग ले सकती हैं, व समिति के लिए किस प्रकार समय दे सकती हैं.

भय्याजी जोशी ने कहा कि राष्ट्र एक विचार है. मन हमारा शत्रु है और यदि समय का ठीक से नियोजन किया जाए तो समय मिल जाएगा. जब तक माता-पिता संस्कारों का महत्व नहीं समझेंगे, तब तक वे बच्चों तक नहीं पहुंचेंगे. अगर हम आने वाली पीढ़ी को संस्कारित तरीके से बड़ा करना चाहते हैं तो हमें अच्छी बातें सीखनी और सुननी चाहिए. और फिर बच्चों पर उसका प्रभाव डालना चाहिए. साथ ही, हमारी पीढ़ी को अभी अच्छी माताओं की जरूरत है, क्योंकि हम सबसे पहले मातृ देवो भव: कहते हैं. भारत की परम्परा में महिलाएं प्रारंभ से ही कुशल प्रशासक रही हैं. जिजाऊ, अहिल्याबाई होलकर, झाँसी की रानी हर सामाजिक समस्या का समाधान करती थीं और कुशल प्रशासक भी थीं. मंगलयान, चंद्रयान में भी महिला वैज्ञानिक थीं.

उन्होंने कहा कि हम पश्चिमी संस्कृति से बहुत प्रभावित हैं और हम पश्चिमीकरण को नहीं रोक सकते. लेकिन हमें यह देखना होगा कि उससे कितना अच्छा आचरण और व्यवहार रहेगा, क्योंकि हमारा समाज अब बहुत आत्मकेन्द्रित और विकृत होता जा रहा है. उपभोग के साधनों की सीमा न जानना वास्तविक अपराध है. अत: यदि हम प्रामाणिक रहकर परस्परावलंबन के सूत्र को स्वीकार कर लें तो द्वंद्व और संघर्ष अपने आप कम हो जाएगा और हमारी हिन्दू संस्कृति जीवित रहेगी. वैचारिक प्रबोधन, अच्छा वातावरण, और अच्छा स्थान बनाने का काम आपको ही करना है. पारिवारिक प्रबोधन आज की आवश्यकता है.

कार्यक्रम की शुरूआत देवी अष्टभुजा की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई. सुहासिनी रक्तपारखी ने भय्याजी जोशी का स्वागत किया. इस अवसर पर समिति की क्षेत्र अधिकारी शोभा गोसावी, विभाग कार्यवाहिका शुभांगी कुलकर्णी, प्रांत संपर्क प्रमुख सोनीला राव व अन्य उपस्थित रहे. कार्यक्रम में 250 कार्यकर्ता उपस्थित रहीं.

7 thoughts on “धर्म, संस्कृति, परंपरा और मूल्यों की रक्षा करना ही राष्ट्रकार्य – भय्याजी जोशी

  1. How can I join the rss ( hum sikhna chahte hai kaise hum apne rashtra aur sanskrit ke naitik mulyo ko apne samaj
    Tak pahuchaye

    1. You can visit the official website http://www.rss.org
      To join RSS and contribute your affords in social development and social equality as well as fell proud to be member of world’s largest social group.

  2. Pranam, bohot accha laga ki AAP rastraseva ke liye icchuk hain. Mahilao ke liye rashtriya sevika samiti hai aur aap use join kar sakti hain. Agar aapke janpehchan me koi Swayamsevak hain to AAP najdiki samiti ka unse pata kar sakti hain. Agar ye vikalp uplabdh nahi hain to join Rss ke page ke dwara bhi sampark Kiya ja sakta hai.dhnaywad

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