पुणे. “मैं अपने माता- पिता के साथ १४ दिन आइसोलेशन में रहा. मन में डर था, लेकिन हमारे निवासी सोसाइटी के सभी पड़ोसी और साथियों ने मनोबल बढ़ाया को हिम्मत मिल गई. कभी भी ऐसा अनुभव नहीं हुआ कि हम अपना घर छोड़कर कहीं अन्य दूसरी जगह पर रहते हैं, सोसाइटी के स्वयंसेवक समय पर नाश्ता, भोजन दे रहे थे. हमारे साथ अन्य भी मरीज थे, उनका भी बराबर ध्यान रखा जा रहा था. और ये सब संभव हुआ सोसाइटी के “थ्री टी” प्लान के कारण, यानि टेस्ट, ट्रेस एंड ट्रीट.”
बड़े उद्योग समूह के वरिष्ठ व्यवस्थापक आईटी इंजीनियर पंकज बाविस्कर ने अनुभव सुनाया. उनकी सोसाइटी ने अपने प्रयासों से आइसोलेशन कक्ष बनाकर सदस्यों के लिए उपचार की सुविधा है, यहां ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध है.
कोरोना की दूसरी लहर के बीच संक्रमण तेजी से फैल रहा है. संक्रमितों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. ऐसी स्थिति में अस्पतालों पर दबाव बढ़ा गया है, बेड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में वाकड की वेदांता सोसाइटी ने प्रेरक पहल की है. जो अन्य लोगों के लिए भी अनुकरणीय है.
कोरोना से जंग में अपना योगदान व सहयोग देने का निर्णय लिया और ‘थ्री टी’ (टेस्ट, ट्रेस, एंड ट्रीट) को आधार बनाकर सोसाइटी में मॉडल खड़ा किया. इसके तहत सोसाइटी परिसर में ही दो आइसोलेशन कक्ष तैयार कर दिए. सोसाइटी में रहने वाले आईटी अभियंता पंकज बाविस्कर, उनकी मां व पिता जी भी कोरोना संक्रमण का शिकार हो गए थे. तीनों सोसाइटी परिसर में ही उपचार से पूरी तरह से ठीक हो गए. इसकी सफलता देख अन्य सोसाइटियों ने भी विचार प्रारंभ किया है.
अपना अनुभव साझा करते हुए पंकज ने कहा कि ‘आइसोलेशन का वो अनुभव सच में अलग ही था. अनुभव हुआ कि हम पर समाज का असल में कुछ ऋण होता है. जिस तरह से हमारी सोसाइटी में हम ये सफल प्रयोग कर सके, उसी तरह अन्य सोसाइटियों को भी प्रयास अवश्य करना चाहिए. आज की परिस्थिति में अपने पड़ोस में रहने वालों का मनोबल बढ़ाना, उनको सहारा देना बहुत आवश्यक हो गया है. अगर, यह हम कर पाए तो हम कोरोना पर सहजता से विजय प्राप्त कर सकते हैं.
सोसाइटी में कुछ लोग नौकरी के कारण बाहर या विदेश में रहते हैं. जिसके चलते फ्लैट खाली पड़े हैं. सोसाइटी के अध्यक्ष सोमनाथ धोंडे ने सदस्यों के समक्ष विचार रखा कि कोरोना संक्रमितों के उपचार के लिए सोसाइटी में ही व्यवस्था खड़ी की जाए, और क्यों ना सोसाइटी में खाली फ्लैट्स का उपयोग आइसोलेशन/कोविड केयर कक्ष के रूप में किया जाए? सदस्यों ने भी बिना किसी विरोध स्वीकृति दे दी. जिसके पश्चात एक थ्री बीएचके फ्लैट और क्लब हाउस में दस बेड (पांच-पांच) की सुविधा वाला आइसोलेशन सेंटर शुरू हो गया.
सोसाइटी ने तीन सिलेंडर खरीदकर ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध करवा दी. बीमारों का परीक्षण करके उन्हें दवा देने को लेकर महापालिका के चिकित्सा अधिकारियों से निवेदन किया तो उन्होंने भी सहयोग किया. सोसाइटी के ही निवासी डॉ. प्रसाद जवसभी भी परीक्षण कर रहे हैं. अन्य व्यवस्थाओं में भी मार्गदर्शन मिल रहा है.
परीक्षण शिविर
सोसाइटी ने अपने स्तर पर 24 अप्रैल को सोसाइटी के सदस्यों, सुरक्षा रक्षक, घर सफाई करने वाले लोग, और कुछ काम करने वाले मजदूर, अन्य कर्मचारी, नियमित रूप से आने वाले, भाजी-तरकारी बेचने वाले, आस पड़ोस के रहने वाले लोगों के लिए कोरोना संक्रमण परीक्षण शिविर (आरटी-पीसीआर, एंटीजेन) का आयोजन किया. इस शिविर में १५० लोगों का परीक्षण किया गया.
व्यवस्था खड़ा करना आसान नहीं था, लेकिन परिश्रम से सफलता मिली. सोसाइटी के सदस्यों ने सहयोग किया. ऐसे उपक्रम के लिए हर एक का परिश्रम करना जरूरी होता है, तब जाकर कोई अच्छा रचनात्मक कार्य खड़ा हो सकता है. वाकड की वेदांता सोसाइटी ने यह कर दिखाया. वेदांता सोसाइटी में 344 फ्लैट हैं, इनमें करीब 1666 लोग रहते हैं.
सोमनाथ धोंडे, अध्यक्ष, वेदांता हाउसिंग सोसाइटी, वाकड, पुणे