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प्रा. यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार 2023 – पुरस्कार के लिए बिहार के शरद विवेक सागर, मध्य प्रदेश की लहरीबाई पडिया, राजस्थान के वैभव भंडारी का चयन

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नई दिल्ली. प्राध्यापक यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार 2023 की चयन समिति ने इस वर्ष पुरस्कार के लिए ‘कम आय एवं वंचित वर्ग के भारतीय युवाओं को वैश्विक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम बनाने हेतु’ शरद विवेक सागर (पटना, बिहार), ‘श्रीअन्न (मिलेट्स) के संरक्षण व संवर्धन के मौलिक कार्य हेतु’ लहरीबाई पडिया (डिंडोरी, मध्य प्रदेश) तथा ‘दिव्यांगों के जीवनस्तर को बेहतर और आत्मविश्वास युक्त बनाने के लिए’ डॉ. वैभव भंडारी (पाली, राजस्थान) को चयनित किया है.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपनी संगठनात्मक यात्रा का ‘अमृत महोत्सव वर्ष’ (75वां वर्ष) मना रहा है, इस उपलक्ष्य को व्यापक तथा अविस्मरणीय बनाने के लिए चयन समिति ने इस वर्ष तीन युवाओं को यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया. शरद विवेक सागर, लहरीबाई पडिया तथा डॉ. वैभव भंडारी को यह पुरस्कार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दिल्ली में 7-10 दिसंबर को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में दिया जाएगा. यह पुरस्कार वर्ष 1991 से प्रा. यशवंतराव केलकर की स्मृति में दिया जाता है, जिन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का शिल्पकार कहा जाता है और अभाविप के संगठनात्मक विस्तार, सुदृढ़ीकरण में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है. अभाविप का वैचारिक अधिष्ठान, कार्यकर्ता विकास तथा कार्यपद्धति को स्थापित व निर्धारित करने में प्रा. यशवंतराव केलकर की महती भूमिका थी.

पुरस्कार का उद्देश्य युवा सामाजिक परिवर्तनकारियों के कार्य को प्रोत्साहित करना, और ऐसे सामाजिक उद्यमियों के प्रति युवाओं का आभार व्यक्त करना तथा युवा भारतीयों को सेवा कार्य के लिए प्रेरित करना है. पुरस्कार में ₹ 1,00,000/- की राशि, प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह समाविष्ट है. शरद विवेक सागर मूलतः बिहार के एक छोटे से गाँव जीरादेई से हैं. बाल्यावस्था में ही शरद, श्री रामकृष्ण-विवेकानंद की शिक्षाओं से परिचित व प्रेरित हुए. युवाओं की शिक्षा संबंधी विभिन्न समस्याओं का निवारण करते हुए शैक्षिक अवसरों और प्रशिक्षण के माध्यम से युवा पीढ़ी को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शरद ने वर्ष 2008 में ‘डेक्सटेरिटी ग्लोबल’ नामक मंच की स्थापना की. ‘डेक्सटेरिटी ग्लोबल’ ने सुदूर भारतीय कस्बों और गांवों के 70 लाख से अधिक युवा नागरिकों को शैक्षिक अवसरों से जोड़ा है, ‘डेक्सटेरिटी ग्लोबल’ के पूर्व छात्रों ने 1,000 से अधिक प्रमुख राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत दर्ज की है तथा विश्व के शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों से ₹175 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति हासिल की है. इनमें से 80% से अधिक छात्र लघु आय एवं वंचित वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. ‘डेक्सटेरिटी ग्लोबल’ से जुड़े अनेक छात्र वैश्विक-शैक्षणिक मंचों पर भारत की शान बढ़ाने का काम कर रहे हैं.

मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले की लहरीबाई पडिया को अपनी दादी तथा मां से मोटे अनाज की पौष्टिकता तथा महत्व पता चला, जिससे वे बीजों के‌ संरक्षण के लिए प्रेरित हुईं. वे श्रीअन्न (मिलेट्स) प्रजातियों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं, उनके पास 150 दुर्लभ किस्म के पौष्टिक मोटे अनाज के बीजों का बैंक है. उन्हें ‘मिलेट्स एंबेसडर’ बनाया गया है, बैगा जनजाति से संबंध रखने वाली लहरीबाई ने पूरे देश को अच्छे स्वास्थ्य, प्रकृति संरक्षण, खान-पान का जो संदेश दिया है, वह आज की आवश्यकता अनुरूप अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है. श्रीअन्न का स्वाद तथा पौष्टिकता आने वाली पीढ़ियों को मिले, इसलिए लहरी बाई सतत् सक्रिय हैं. उनके योगदान के लिए उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा भी मिल चुकी है. 12 सितंबर, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में लहरीबाई को वर्ष 2021-22 का ‘पादप जीनोम संरक्षक किसान सम्मान’ प्रदान किया था. लहरीबाई ‘मिलेट्स क्वीन’ के नाम से प्रसिद्ध हैं. पारंपरिक खेती के उत्थान की दिशा में लहरी बाई महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं.

डॉ. वैभव भंडारी मूलतः पाली राजस्थान के रहने वाले हैं, आपने दिव्यांगों के जीवनस्तर को बेहतर बनाने के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है. आपकी शिक्षा विधि विषय में पीएचडी तक हुई है. बचपन में ही वैभव भंडारी को मांसपेशिय दुर्विकास (मस्कुलर डिस्ट्रॉफी) के कारण जीवन-परिवर्तनकारी समस्याओं का सामना करना पड़ा, हालाँकि वैभव इस चुनौती के सामने झुके नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित करने के लिए अटूट दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया. वैभव के कार्यों ने समाज के विभिन्न पहलुओं में ऐसे परिवर्तन किया, जिससे दिव्यांगों के लिए रास्ते आसान हो सकें. वैभव भंडारी सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी रहे हैं. 2007 में, राजस्थान सरकार के वन और पर्यावरण मंत्रालय ने श्री वैभव के उत्कृष्ट पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को मान्यता दी. वैभव भंडारी को दिव्यांगों के समर्थन में अनुकरणीय कार्य के लिए भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया. समर्पण, दृढ़ता और सकारात्मक प्रभाव डालने का जुनून वैभव भंडारी की उल्लेखनीय यात्रा को परिभाषित करता है.

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