काशी. महानाट्य के अंत में शिवाजी की रणनीति के आगे मुगलिया सेना नतमस्तक हो जाती है. शिवाजी महाराज हिंदवी स्वराज्य की पताका फहराते हुए 84 बंदरगाहों और 42 जल दुर्ग जीत लेते हैं. अलाउद्दीन खिलजी, औरंगजेब, आदिलशाह, अफजल खान सहित सभी मुगल शासकों का सामना कर उन्हें परास्त करते हुए छत्रपति शिवाजी हिन्दवी स्वराज की स्थापना करते हैं. काशी के वेद मूर्ति विद्वान पंडित गागा भट्ट द्वारा शिवाजी महाराज का राजतिलक कर उनका राज्याभिषेक कराया जाता है.
तरुण शिवाजी (राजे) द्वारा अपनी मां से यह कहना कि मैं भी अपने बाप दादा की तरह राज करूंगा. मां जिजाऊ द्वारा शिवाजी को कहना कि मैराथन का सब कुछ मिटाने वाले के दरबार में घुटने के बल बैठोगे. सभी के अपमान का बदला लेने के लिए बगावत कीजिए और आप निश्चय करें तो कालचक्र को घुमा सकते हैं. तब शिवाजी द्वारा यह ऐलान करना कि 300 साल से गुलामी में मर रहे हैं, अब हमें जीना है स्वतंत्र शेर की तरह. मां तुलजा भवानी के सामने कसम खाते हुए शिवाजी कहते हैं कि मेरी तलवार बेसहारों का सहारा बनेगी. स्वराज्य को सोने के सिंहासन पर विराजमान करना है. हिंदवी स्वराज्य के सपने को साकार करना है.
जाणता राजा महानाट्य में आदर्श शासक की झलक
मंचन के दौरान जाति, समुदाय, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर एक आदर्श शासन को अपनी प्रजा के लिए कैसा होना चाहिए. अपने राज्य के पाटिल को सजा देना और मोहिते मामा को गिरफ्तार करना. अधिकार का दुरुपयोग करने पर अपने प्रधानमंत्री को बर्खास्त कर देना. शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित आदर्श शासन के तौर पर अनुशासन व न्याय प्रिय युवा समाज के लिए प्रेरणा का काम करेगी.
शिवाजी महाराज के स्वराज में गुलामी बंद ऐलान से आदिल शाह की सल्तनत में घबराहट मच गई और अपने सैनिकों को बुलाकर शिवाजी को रोकने की रणनीति बनाते हुए अफजल खां को आगे बढ़ने का फरमान सुनाता है. आदिल शाह की फौज के आगे कई मराठा शासक घुटने टेक देते हैं और शिवाजी के खिलाफ युद्ध में शामिल होने की घोषणा कर देते हैं. लेकिन तान्हा जी जेधे द्वारा घर परिवार त्याग कर भी शिवाजी महाराज के लिए जीने मरने की बात स्वराज स्थापना की मजबूती को दर्शाता है. तान्हा जी जेधे द्वारा यह कहना कि मेरे जीते जी कौन छू सकता है मेरे राजा को, दर्शाता है कि हिंदवी स्वराज की स्थापना हेतु शिवाजी महाराज की तलवार को ऐसे वीर योद्धाओं का किस कदर समर्थन प्राप्त था. तान्हा जी जेधे के समर्थन के साथ मावल जवान वीर शिवाजी के साथ लड़ने के लिए तैयार होते हैं. हर हर महादेव के जयकारे के साथ एलान करते हैं कि मावल की हथियारबंद भवानी आपकी सुरक्षा के लिए तैयार है.
6 दिन में 80 हजार दर्शकों ने शिवाजी का जीवन दर्शन किया
जाणता राजा महानाट्य मंचन के अंतिम दिन अध्यक्ष के रूप में उपस्थित प्रख्यात कथावाचक शांतनु जी महाराज ने भारत माता की जय व जय भवानी जय शिवाजी के जयघोष करते हुए कहा कि “प्रत्यक्षं किम प्रमाणं” यानी प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती. 6 दिनों में काशी प्रांत के विभिन्न जिलों से आए लगभग 80 हजार दर्शकों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के विराट व्यक्तित्व को सीने में बसाया. भाव-विभोर दर्शकों ने अनुभव किया कि 350 वर्ष पूर्व यदि महाराज शिवाजी का जीवन अनिवार्य आवश्यक था तो आज 350 वर्ष बाद भी छत्रपति शिवाजी का जीवन प्रासंगिक है.
महाराज शिवाजी के छत्रपति बनने की भव्य जीवन गाथा को जाणता राजा महानाट्य के जरिए दर्शाया गया. सभी दिन माता तुलजा भवानी की आरती के बाद दुदंभी की गूंज और ढोल नगाड़ों की तेज धुनों के साथ मंचन की शुरुआत हुई.