श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की पिछले 28 साल से राह तक रहीं 82 वर्षीय उर्मिला चतुर्वेदी का संकल्प सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ पूरा हुआ. इस शुभ दिन के इंतजार में अन्न तक का त्याग कर चुकी हैं. मंदिर निर्माण के इंतजार में उर्मिला ने अन्न त्याग कर रखा था. सिर्फ फल दूध का सेवन कर रहीं थीं. अब विजय नगर निवासी बुजुर्ग उर्मिला चतुर्वेदी को मंदिर निर्माण के यज्ञ में समर्पण निधि के रूप में आहुति देने की इच्छा है. और इंतजार है कि कब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि लेने वाली टोलियां उनके पास आएं.
राम के नाम पर छोड़ा अन्न
जब अन्न त्याग करने का संकल्प लिया तब उर्मिला करीब 54 साल की थीं. उस दिन घर में मेहमान आए हुए थे. भगवान राम को लेकर बातचीत चल रही थी. अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि को लेकर न्यायालय में वाद चल रहा था. बस फिर क्या था अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने तक अनाज नहीं खाने का संकल्प धारण कर लिया. तब से फल और दूध, दही खाने का सिलसिला शुरू हो गया. उर्मिला चतुर्वेदी ने बताया कि उनका किसी संगठन से कोई जुड़ाव नहीं है, लेकिन मेलजोल हर किसी से रहा.
मंदिर के लिए पूजा पाठ
मंदिर निर्माण के लिए उर्मिला हर दिन पूजन पाठ करती रहीं. उनके बेटे विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि मां हर वक्त भव्य राम मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा करती रहती हैं. उनके पास कोई जमा पूंजी नहीं है, लेकिन इस पुण्य कार्य में उनकी इच्छा भी सहयोग करने की है.
90 वर्षीय रामभक्त ने एक माह की पेंशन समर्पित की
श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए लोग बड़ी संख्या में समर्पण निधि देने के लिए आगे आ रहे हैं. रायपुर, कचना निवासी 90 वर्षीय माला नीले ने एक माह की पेंशन समर्पित कर दी. उन्होंने स्वयं श्रीराम मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान समिति के पदाधिकारियों से संपर्क किया. पदाधिकारी उनके घर पहुंचे और समर्पण राशि प्राप्त की. माला श्रीराम की अनन्य भक्त हैं.