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नागपुर, ३० मार्च। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागपुर स्थित माधव नेत्रालय चैरिटेबल ट्रस्ट के माधव नेत्रालय के नए प्रीमियर सेन्टर के शिलान्यास समारोह में कहा कि स्वामी विवेकानन्द ने निराशा में डूबे भारतीय समाज को झकझोरा, उसके स्वरूप की याद दिलाई, आत्मविश्वास का संचार किया और राष्ट्रीय चेतना को बुझने नहीं दिया। गुलामी के अन्तिम दशक में डॉक्टर जी और श्री गुरुजी ने इस चेतना को नई ऊर्जा देने का कार्य किया। राष्ट्रीय चेतना के जिस विचार का बीज १०० वर्ष पहले बोया गया था, वह आज एक वटवृक्ष के रूप में खड़ा है। सिद्धान्त और आदर्श वटवृक्ष को ऊँचाई देते हैं, जबकि लाखों-करोड़ों स्वयंसेवक इसकी टहनियों के रूप में कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की अमर संस्कृति का आधुनिक अक्षय वट है, जो निरन्तर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है। स्वयंसेवक के लिए सेवा ही जीवन है।
मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी, जूना अखाड़ा के महामण्डलेशवर आचार्य स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज, आचार्य महर्षि वेदव्यास प्रतिष्ठान के स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी महाराज, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी तथा माधव नेत्रालय के डॉ. अविनाश चन्द्र अग्निहोत्री उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माधव नेत्रालय प्रीमियम सेन्टर की नई विस्तारित भवन की आधारशिला रखी। यह आई इन्स्टीट्यूट और रिसर्च सेन्टर का नया विस्तार है, यह संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी की स्मृति में स्थापित किया गया है। सेन्टर में २५० बेड का अस्पताल, १४ आउट पेशेंट डिपार्टमेन्ट (OPD) और १४ आधुनिक ऑपरेशन थिएटर होंगे।
प्रधानमंत्री ने देश के इतिहास, भक्ति आंदोलन में संतों की भूमिका, संघ की नि:स्वार्थ कार्य प्रणाली, देश के विकास, युवाओं में धर्म-संस्कृति, स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, शिक्षा, भाषा और प्रयागराज महाकुम्भ की चर्चा की। उन्होंने कहा कि माधव नेत्रालय है तो दृष्टि की बात स्वाभाविक है। जीवन में दृष्टि ही दिशा देती है। वेदों में भी यह कामना की गई है कि हम सौ वर्ष तक देखें। यह दृष्टि केवल बाह्य नहीं, बल्कि अन्तर्दृष्टि भी होनी चाहिए। “राष्ट्रयज्ञ के इस पावन अनुष्ठान में आने का मुझे सौभाग्य मिला। आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का यह दिन बहुत विशेष है। आज से नवरात्रि का पवित्र पर्व शुरू हो रहा है। देश के अलग-अलग कोनों में गुड़ी पड़वा और उगादि का त्योहार मनाया जा रहा है। आज भगवान झूलेलाल और गुरु अंगद देव का अवतरण दिवस भी है। यह हमारे प्रेरणा पुंज, परम पूजनीय डॉक्टर साहब की जयन्ती का भी अवसर है। इसी वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गौरवशाली यात्रा के १०० वर्ष भी पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर मुझे स्मृति मन्दिर जाकर पूज्य डॉक्टर साहब और पूज्य गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला। आज मैंने दीक्षाभूमि पर जाकर बाबा साहेब को नमन किया।
उन्होंने कहा कि लाल किले से मैंने सबके प्रयास की बात कही थी। आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश जिस तरह काम कर रहा है, माधव नेत्रालय उन प्रयासों को और आगे बढ़ा रहा है। हम देव से देश, राम से राष्ट्र का मंत्र लेकर चल रहे हैं। यदि हम अपने देश के इतिहास पर दृष्टि डालें, तो सैकड़ों वर्षों की गुलामी और आक्रमणों के दौरान भारत की सामाजिक संरचना को मिटाने के लिए क्रूर प्रयास किए। लेकिन भारत की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई, उसकी लौ जलती रही। कठिन से कठिन दौर में भी इस चेतना को जाग्रत रखने के लिए नए सामाजिक आंदोलन होते रहे। भक्ति आंदोलन इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मध्यकाल के उस कठिन कालखण्ड में हमारे संतों ने भक्ति के विचारों से राष्ट्रीय चेतना को नई ऊर्जा दी। गुरु नानक देव, संत कबीर, तुलसीदास, सूरदास, संत तुकाराम, संत रामदेव, संत ज्ञानेश्वर जैसे महान संतों ने अपने मौलिक विचारों से समाज में प्राण फूंके। उन्होंने भेदभाव के बंधनों को तोड़कर समाज को एकता के सूत्र में बांधा।
उन्होंने विदर्भ के महान संत गुलाबराव महाराज का स्मरण करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के संत गुलाबराव महाराज को प्रज्ञा चक्षु कहा जाता था। कम आयु में ही उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी, फिर भी उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की। कैसे? उनके पास भले ही नेत्र नहीं थे, लेकिन दृष्टि थी – जो बोध से आती है, विवेक से प्रकट होती है और व्यक्ति के साथ-साथ समाज को भी शक्ति देती है।
उन्होंने कहा कि संघ भी एक ऐसा संस्कार यज्ञ है, जो अन्तर्दृष्टि और बाह्य दृष्टि दोनों के लिए काम कर रहा है। बाह्य दृष्टि के रूप में माधव नेत्रालय इसका उदाहरण है, जबकि अन्तर्दृष्टि ने संघ को आकार दिया है। हमारे यहाँ कहा गया है कि हमारा शरीर परोपकार और सेवा के लिए ही है। जब सेवा संस्कार बन जाती है, तो साधना बन जाती है। यही साधना हर स्वयंसेवक की प्राण वायु होती है। यह सेवा संस्कार, यह साधना, यह प्राणवायु, पीढ़ी दर पीढ़ी हर स्वयंसेवक को तप और तपस्या के लिए प्रेरित करती है। यह उसे निरन्तर गतिमान रखती है, न थकने देती है, न रुकने देती है। स्वयंसेवक के हृदय में एक भाव हमेशा चलता रहता है। – ‘सेवा है यज्ञ कुण्ड, समिधा जैसे हम जलें।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बार इन्टरव्यू में श्री गुरुजी ने कहा था कि संघ प्रकाश की तरह सर्वव्यापी है। प्रकाश अंधेरे को दूर करके दूसरों को रास्ता दिखा देता है। उनकी यह सीख हमारे लिए जीवनमंत्र है। हमें प्रकाश बनकर अंधेरा दूर करना है, बाधाएं हटानी हैं, और रास्ता बनाना है। यही संघ की भावना है।
संघ का स्वयंसेवक प्रामाणिकता, निःस्वार्थ भाव से समाज के लिए कार्य करता है – डॉ. मोहन जी भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि संघ के संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार का जन्म, हिन्दू नववर्ष चैत्र शुक्ल वर्ष प्रतिपदा के दिन हुआ था। उस दिन रविवार था। आज ऐसा शुभयोग बना है कि आज रविवार है, वर्ष प्रतिपदा है, डॉ. हेडगेवार की जयन्ती है, चैत्र नवरात्र का आज प्रारम्भ हो रहा है और आज ही मानव नेत्रालय के नए प्रीमियर सेन्टर का शिलान्यास भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों हो रहा है। यह अत्यन्त शुभयोग है। शुभयोग के लिए तपस्या करनी पड़ती है।
उन्होंने कहा कि गत तीन दशकों से माधव नेत्रालय ने नेत्र चिकित्सा सेवा से समाज में प्रकाश फैलाया है। सामान्य जनों के जीवन को चिकित्सा सेवा के माध्यम से आलोकित किया है। इस प्रकल्प में लगे स्वयंसेवकों ने बड़े समर्पित भाव से सेवा की है। हम सभी माधव नेत्रालय की तपस्या के साक्षी हैं। तपस्या से पुण्य अर्जित होता है, पुण्य से फल मिलता है। लेकिन वह फल अपने लिए न रखते हुए उसका विनियोग लोक कल्याण के लिए ही करना, इस वृत्ति से तपस्या आगे चलती है। माधव नेत्रालय के पीछे संघ विचार की प्रेरणा है। यह प्रेरणा स्वार्थ की नहीं, भय या प्रतिक्रिया की भी नहीं, न कोई मजबूरी है। वरन् शुद्ध सात्विक प्रेम ही अपने कार्य का आधार है। यह समाज मेरा है, समाज के लोग मेरे अपने हैं, यह दृष्टि संघ की शाखाओं से मिलती है। इसलिए संघ का स्वयंसेवक पूरी प्रामाणिकता से, निःस्वार्थ भाव से, तन-मन-धन से समाज के लिए कार्य करता है।
रामटेक की यात्रा में वर्ष १९२६ में यात्रा के सुव्यवस्थापन के लिए स्वयंसेवकों ने जो काम किया, उसके पीछे भी यही प्रेरणा थी। डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि आज पूरे देश में डेढ़ लाख से अधिक सेवा प्रकल्पों के माध्यम से संघ समाज में सेवाकार्य कर रहा है। समाज के लिए हर कष्ट उठाकर निःस्वार्थ भाव से सेवाकार्य करना, यही संघ की प्रेरणा है। संघ के स्वयंसेवक प्रतिदिन १ घण्टा शाखा से ऊर्जा प्राप्त करता है और उस ऊर्जा का उपयोग समाज के हित के लिए करता है।
डॉ. हेडगेवार जी, श्री गुरुजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए
समारोह के पूर्व सुबह नागपुर आगमन के पश्चात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्मृति मंदिर परिसर पहुंचकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस दौरान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी, डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के अध्यक्ष भय्याजी जोशी, मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी उपस्थित रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अ. भा. कार्यकारिणी के सदस्य एवं डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के अध्यक्ष भय्याजी जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया।
स्मृति भवन की अभ्यागत अभिप्राय पुस्तिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने लिखा – ‘परम पूजनीय डॉ. हेडगेवार जी और पूज्य गुरुजी को शत-शत नमन। उनकी स्मृतियों को संजोते इस स्मृति मंदिर में आकर मैं अभिभूत हूं। भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद, और संगठन शक्ति के मूल्यों को समर्पित यह स्थली हमें राष्ट्र की सेवा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। संघ के इन दो मजबूत स्तंभों की यह स्थली देश की सेवा में समर्पित लाखों स्वयंसेवकों के लिए ऊर्जा पुंज है। हमारे प्रयासों से माँ भारती का गौरव सदा बढ़ता रहे!’