करंट टॉपिक्स

कोई ऊंचा नहीं, कोई नीचा नहीं, सब भगवान के स्वरूप हैं

(श्री गुरुजी के समरसता के सूत्र) हम तो समाज को ही भगवान मानते हैं, दूसरा हम जानते नहीं. समष्टिरूप भगवान की सेवा करेंगे. उसका कोई...

सरदार चिरंजीव सिंह जी श्वासों की पूंजी को पूर्ण कर गुरु चरणों में जा विराजे

चिरंजीव सिंह जी का जन्म एक अक्तूबर, 1930 (आश्विन शु. 9) को पटियाला में एक किसान श्री हरकरण दास (तरलोचन सिंह) तथा श्रीमती द्वारकी देवी...

टुकड़े-टुकड़े पाकिस्तान – १२

गिलगिट-बाल्टिस्तान प्रशांत पोळ भारतीय उपमहाद्वीप में जहां सबसे पहले यूनियन जैक उतरा, वह स्थान है गिलगिट - बाल्टिस्तान. १ अगस्त, १९४७. मूलतः गिलगिट-बाल्टिस्तान प्रदेश अनेक...

ट्विटर पर तथ्यहीन पोस्ट को लेकर दिग्विजय सिंह को लीगल नोटिस

पुणे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी को लेकर किए गए ट्वीट को लेकर दिग्विजय सिंह को लीगल नोटिस भेजा गया है. ठाणे...

अमृत महोत्सव लेखमाला – सशस्त्र क्रांति के स्वर्णिम पृष्ठ : भाग 18 (अंतिम)

स्वतंत्रता संग्राम के अज्ञात सेनापति डॉ. हेडगेवार के साथ अन्याय क्यों? नरेन्द्र सहगल चिर सनातन अखण्ड भारत की सर्वांग स्वतंत्रता के लिए कटिबद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक...

राष्ट्र ध्वज की निर्माण कथा – भाग दो

तिरंगे के प्रति पूर्ण निष्ठा, श्रद्धा और सम्मान रखता है संघ लोकेन्द्र सिंह राष्ट्रीय विचारधारा का विरोधी बुद्धिजीवी वर्ग अक्सर एक झूठ को समवेत स्वर...

वे पन्द्रह दिन… / 07 अगस्त, 1947

https://www.youtube.com/watch?v=_D3VUrIhsDQ स्वाधीनता का अमृत महोत्सव गुरुवार, 07 अगस्त. देश भर के अनेक समाचार पत्रों में कल गांधी जी द्वारा भारत के राष्ट्रध्वज के बारे में...

वे पंद्रह दिन… / 05 अगस्त, 1947

https://www.youtube.com/watch?v=NYbZSIDthHs   स्वाधीनता का अमृत महोत्सव आज अगस्त महीने की पांच तारीख... आकाश में बादल छाये हुये थे, लेकिन फिर भी थोड़ी ठण्ड महसूस हो...

महज राजनीतिक संकेतवाद नहीं द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति निर्वाचित होना

उमेश उपाध्याय (वरिष्ठ पत्रकार) राजनीति और समाज जीवन में संकेतों की अपनी जगह होती है. बड़े लक्ष्य के लिए यदि संकेत के तौर पर किसी...

वैश्‍विक परिदृश्य में बढ़ता भारत और श्रीगुरुजी

डॉ. मयंक चतुर्वेदी विश्वतश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात्. सं बाहुभ्यां धमति सं पतत्रैर्द्यावाभूमी जनयन्देव एकः ॥ यह वेदमंत्र जब भी पढ़ने में या सुनने में आया,...