पूना. कंप्यूटर विज्ञानी एवं परम सुपर कंप्यूटर के जनक डॉ. विजय भटकर ने कहा कि “विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा भारतीय भाषाओं में मिलना बहुत आवश्यक है. इसके लिये आने वाले समय में कार्य करना होगा. इस कार्य में राष्ट्र का हर नागरिक अपना योगदान दे, तभी जाकर भारत के मानव का पुनरुत्थान होगा.”
श्री बड़ा बाजार कुमार सभा पुस्तकालय की ओर से डॉ. विजय भटकर को इस वर्ष डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान प्रदान किया गया. पुरस्कार में मानपत्र और एक लाख रुपये की राशि प्रदान की.
पूना महानगर संघचालक रवींद्र जी वंजारवाडकर की अध्यक्षता में संपन्न समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर, मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री डॉ. गिरीश प्रभुणे उपस्थित रहे.
डॉ. भटकर ने प्रमाण रखते हुए कहा कि विज्ञान एक दर्शन है. विज्ञान और अध्यात्म एक ही सत्य के दो पहलू हैं. दोनों ही रास्ते आखिरी सत्य तक पहुँचाते हैं. इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है.
रामदत्त जी ने कहा, “देश को कई वर्षों तक मानसिक गुलामी में रखा गया. लेकिन डॉ. हेडगेवार जी ने शाखा तंत्र के माध्यम से समूचे देश को अपनी स्व-केंद्रित सोच से राष्ट्र केंद्रित सोच की ओर आगे बढ़ाया. देश की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आध्यात्मिक राष्ट्रीय भाव का पुनर्जागरण एवं पुनर्प्रस्थापन करने की आवश्यकता है.”
डॉ. गिरीश जी प्रभुणे ने डॉ. भटकर का अभिनंदन कर अपनी बात रखी. रवींद्र जी वंजारवाडकर ने अध्यक्षीय संबोधन किया.
समारोह के दौरान वैद्य आशुतोष जी जातेगावकर ने गीत प्रस्तुत किया. पुस्तकालय के सचिव महावीर प्रसाद जी बजाज ने आभार प्रदर्शित किये. डॉ. ताराजी दूगड ने समारोह का संचालन किया.