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धर्मान्तरित जनजातियों को अनुसूचित जाति से हटाकर आरक्षण समाप्त किया जाए – जनजाति सुरक्षा मंच

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जनजाति सुरक्षा मंच ने मांग की कि धर्मांतरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति सूची से हटाकर उन्हें दिया जाने वाला आरक्षण का लाभ समाप्त किया जाए. मंच ने मांग को लेकर गुरुवार को राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार के माध्यम से ज्ञापन भेजा. ज्ञापन में कहा गया कि, धर्मान्तरित धर्मान्तरित जनजातियों को आरक्षण सुविधाएं दिए जाने के खिलाफ तत्कालीन बिहार सरकार के जनजातीय नेता और लोकसभा सदस्य व केंद्रीय मंत्री कार्तिक उराव ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 1970 में आवेदन दिया था. इस बात को 50 साल हो गए हैं. उस आवेदन को न तो लोकसभा में पटल पर रखा गया था, ना ही उसे खारिज किया था. बल्कि उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था.

ज्ञापन में मांग की गई कि अनुसूचित जनजातियों के साथ हो रहे अन्याय को हमेशा के लिए समाप्त कर धर्मांतरित लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाने के लिए आवश्यक संशोधन किया जाए.

राजस्थान के जनजाति जिलों में ईसाई धर्म अपना चुके जनजाति लोगों को जनजाति वर्ग से मिलने वाले आरक्षण को समाप्त करने की मांग उठी है. डूंगरपुर जिले में जनजाति सुरक्षा मंच ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम कार्यवाहक कलेक्टर को ज्ञापन सौपा.

मंच के सदस्य लालूराम कटारा ने बताया कि डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ जिले जनजाति बाहुल्य हैं. इन जिलों के ग्रामीण क्षेत्रो में दशकों से ईसाई मिशनरी सक्रिय हैं और धर्मांतरण कराकर उन्हें ईसाई बनाया जा रहा है. पिछले दशकों में हजारों की संख्या में लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया और ये सिलसिला लगातार जारी है.

इधर, धर्म परिवर्तन कर चुके लोग अब भी जनजाति वर्ग को मिलने वाला आरक्षण और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, जिसके वे अब हकदार नहीं है. जनजाति सुरक्षा मंच लंबे समय से इस मुहिम को लेकर चल रहा है ताकि जनजाति वर्ग को मिलने वाला आरक्षण व अन्य लाभ कोई और नहीं उठा सके.

ज्ञापन में 1967 के अनुसूचित जाति/ जनजाति विधेयक का हवाला देते हुए स्पष्ट किया गया है कि जो व्यक्ति जनजाति विश्वासों का परित्याग कर देता है, वो व्यक्ति जनजाति का सदस्य नहीं कहा जाएगा. वहीं, प्रदेश के टीएसपी जिलों में कई लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया है. लेकिन ईसाई के रूप में धर्मांतरण करने के बाद भी वे लोग जनजाति वर्ग के आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. कार्यवाहक कलेक्टर को प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर धर्मांतरण कर चुके लोगों का जनजाति वर्ग के आरक्षण का लाभ समाप्त किए जाने की मांग की.

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