नई दिल्ली. पाकिस्तान के अवैध क़ब्ज़े वाले जम्मू कश्मीर में स्थित हिन्दुओं के प्राचीन मंदिर शारदा पीठ को लेकर PoJK असेंबली ने बड़ा कदम उठाया है. PoJK विधानसभा के निर्णय से पाकिस्तान सरकार की नींद भी उड़ गई है. दरअसल, PoJK विधानसभा ने भारत के श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर कॉरिडोर के तर्ज पर ही शारदा पीठ कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव पारित किया है. इसके माध्यम से भारतीय श्रद्धालु PoJK स्थित शारदा पीठ की यात्रा कर सकेंगे.
कश्मीरी हिन्दू समुदाय काफी लंबे समय से शारदा पीठ कॉरिडोर बनाने की मांग करता आया है. चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस पर कुपवाड़ा के तीथवाल में नियंत्रण रेखा LoC के पास मां शारदा मंदिर को पुनर्निर्मित किया गया है.
POJK विधानसभा का यह प्रस्ताव गृहमंत्री अमित शाह के उस प्रस्ताव से मिलता जुलता है, जिसमें करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर एक गलियारा बनाने की बात कही थी. माँ शारदा पीठ भारत की ऐतिहासिक विरासत है, जो बीते 75 वर्षों से वीरान पड़ी है. जिसे कट्टरपंथियों द्वारा खंडित करने व अपवित्र करने का काम किया गया. गृहमंत्री ने 22 मार्च को जब तीथवाल में पुनर्निर्मित माँ शारदा मंदिर का उद्घाटन किया तो उन्होंने PoJK स्थित शारदा पीठ तक रास्ता बनाने का विश्वास दिलाया था.
उन्होंने कहा था कि भारत सरकार इस दिशा में काम करेगी ताकि श्रद्धालुओं को शारदा पीठ के दर्शन का अवसर मिल सके. और ठीक एक सप्ताह के भीतर PoJK विधानसभा में यह प्रस्ताव भी पारित हो गया. जिसके बाद से बहुत सी चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
प्रस्ताव से पाकिस्तान में खलबली
POJK की विधानसभा में पारित प्रस्ताव से पाकिस्तान में खलबली मच गई है. विधानसभा में 29 मार्च को सत्ताधारी तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के जावेद बट की तरफ से यह प्रस्ताव लाया गया. प्रस्ताव में देश की सरकार और PoJK सरकार से सीमा पार रहने वाले कश्मीरियों को एक-दूसरे से मिलने का अवसर प्रदान करने की मांग की गई. प्रस्ताव के अनुसार, जिस तरह से करतारपुर कॉरिडोर बनाया गया है.
उसी तरह से यहां पर भी एक कॉरिडोर बनाया जाए ताकि भारत में जम्मू कश्मीर और यहां के लोग एक दूसरे से मिल सकें.
प्रस्ताव में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को शारदा पीठ व उसके साथ सटे इलाकों में अपने धर्म स्थलों की यात्रा की अनुमति होनी चाहिए. इससे गुलाम जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ स्थानीय लोगों को आर्थिक लाभ भी होगा.
शारदा पीठ हजारों वर्ष पुरानी ऐतिहासिक विरासत है, यहां साक्षात माँ शारदा विराजमान थीं, हैं और रहेंगी. शारदा पीठ पाकिस्तान के अवैध क़ब्ज़े वाले जम्मू कश्मीर में है और वर्ष 1947-1948 से इसे स्थानीय प्रशासन ने बाहरी तीर्थयात्रियों के लिए बंद कर रखा है. माँ शारदा पीठ नीलम नदी (किशन गंगा नदी) के किनारे स्थित है. विगत सात दशकों में इस पीठ के सिर्फ खंडहर बचे हैं. माँ शारदा साढ़े सात दशकों से अपने भक्तों की प्रतीक्षा में हैं. शारदा पीठ कश्मीरी हिन्दुओं के लिए एक बेहद पावन तीर्थस्थल है. यह ना सिर्फ धार्मिक रीति रिवाजों के लिए अहम स्थल था, बल्कि छठी सदी से लेकर 12वीं सदी के दौरान यहां एक विशाल शिक्षा केंद्र भी था.
अब्दुल बासित ने की प्रस्ताव की निंदा
अब जब इस तरह का प्रस्ताव पास हुआ तो पाकिस्तानी हुक्मरानों की नींद उड़ना वाजिब है. भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने प्रस्ताव की निंदा की. बासित ने कहा – ऐसा लगता है कि यह चीन के साथ पाकिस्तान के रिश्तों को खराब कराने और पाकिस्तान को भारत के साथ हाथ मिलाने के लिए मजबूर करने की अमेरिकी साजिश है. जो लोग प्रस्ताव लाए हैं, उन्हें शायद कश्मीर विवाद की जानकारी नहीं है. यह वही अब्दुल बासित हैं, जिन्होंने एक वक्त में शारदा पीठ को कश्मीरी हिन्दुओं के लिए खोले जाने की बात कही थी. लेकिन आज उनका दोहरा चरित्र देखने को मिल रहा है.
1948 के बाद से अनुमति नहीं
वर्ष 1948 के बाद से पाकिस्तान ने किसी भी भारतीय हिन्दू को इस मंदिर में जाने की इजाजत नहीं दी है. वर्ष 2007 में कश्मीरी हिन्दुओं को PoJK जाने दिया गया, लेकिन मंदिर जाने की इजाजत नहीं मिली. बाद में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई कई वार्ताओं में शारदा पीठ का मुद्दा भी उठा और अब यहां के लिए कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव पारित हुआ है. अगर यह कॉरिडोर बन जाता है तो हिन्दुओं के लिए यह किसी सपने के पूरा होने जैसा होगा.