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चित्रकूट जनपद के ‘समाज शिल्पी दंपत्ति’ अब एमपी के मझगवां के गांवों में सिखाएंगे स्वावलंबन का पाठ

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चित्रकूट. दीनदयाल शोध संस्थान पिछले ढाई दशक से चित्रकूट के आसपास के गांवों में स्वावलंबन का कार्य कर रहा है. जिसका एकमात्र उद्देश्य है ग्रामीण जीवन का विकास करना. विवाद मुक्त गांव की संकल्पना को लेकर काम करने वाले समाज शिल्पी दंपत्ति खुद विवाद का कारण ना बनें, इसके लिए चुनाव के दौरान उन्हें दूसरे अन्य स्वावलंबन केंद्रों पर भेजने की संस्थान की योजना रहती है.

चित्रकूट जनपद में जिला, जनपद और ग्राम पंचायत स्तर पर चुनाव होने के कारण समाज शिल्पी दंपति कार्यकर्ताओं को मध्यप्रदेश के सतना जिले के मझगवां जनपद के गांवों में भेजा जा रहा है. क्योंकि भारत रत्न नानाजी देशमुख का मानना था कि गांव में गरीबी का एक प्रमुख कारण विवाद भी है और गांवों में अधिकांश विवाद राजनीति से जुड़े हुए एवं चुनावों के कारण होते हैं. समाज शिल्पी दंपति कार्यकर्ता चूंकि गांव में रहता है और उसे गांव का सर्व मान्य व्यक्ति बनकर रहना पड़ता है. अतः वह विवाद का कारण न बने, इसके लिए संस्थान की रीति-नीति के अनुसार चुनाव के समय उसके कार्य क्षेत्र से हटाकर दूसरे क्षेत्रों में कार्यरत किया जाता है.

इसी परंपरा का निर्वहन करने के लिए समाज शिल्पी दंपत्ति कार्यकर्ताओं को 10 अप्रैल से 5 मई तक मध्यप्रदेश के सतना जिले के मझगवां विकास खंड के गांवों में भेजा जा रहा है. जिसके लिए 5 से 10 अप्रैल तक उनको तुलसी कृषि विज्ञान केन्द्र गनीवां में प्रशिक्षण हेतु रखा गया. जहां उन्हें कृषि और कृषि से जुड़े रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक संवेदनशीलता, जन सुविधाओं, भूमि सुपोषण आदि विषयों पर प्रशिक्षित किया गया. इसके अतिरिक्त रोजगार से जुड़े प्रयोग भी कराए गए. इसके अलावा कोरोना महामारी से जुड़े बचाव के बारे में भी जानकारी दी गई.

दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन, समाज शिल्पी दंपत्ति प्रभारी डॉ. अशोक पांडे- सीमा पांडे, राजेंद्र सिंह, हरीराम सोनी, कृषि विज्ञान केंद्र गनीवां के प्रभारी डॉ. चंद्रमणि त्रिपाठी भी उपस्थित रहे.

अभय महाजन ने बताया कि भारत रत्न नानाजी देशमुख ने जब चित्रकूट अंचल का चयन कर यहां काम शुरू किया तो एक साथ सारी स्थिति को बदलने की बजाय उन्होंने एक-एक कर बदलाव लाने की योजना पर काम किया. पहले लोगों के जीवन स्तर में परिवर्तन का काम किया गया, फिर उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक बनाया गया. रोग मुक्त कैसे रहें इसकी सीख दी गई, बेकारी को कैसे भगाया जा सकता है इसका प्रशिक्षण दिया गया. उसके बाद गांव को विवाद मुक्त बनाने का काम किया गया. चित्रकूट अंचल के कई गांव विवाद मुक्त हो चुके हैं. उन्हें इस स्थिति में लाने के लिए समाज शिल्पी दंपत्ति कार्यकर्ताओं को कठिन मेहनत करनी पड़ी है, तब कहीं जाकर गांव वालों की समझ में आया कि हमें झगड़ा करने की वजह मिल कर रहना चाहिए और गांव के विवाद को बाहर ले जाने की जगह इसका निपटारा आपस में करना चाहिए.

 

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