नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने संदेशखली हिंसा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता शाहजहां शेख पर यौन उत्पीड़न और जबरन जमीन हड़पने के आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच को बरकरार रखा.
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने जांच के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि आदेश में की गई टिप्पणियों से मुकदमे और भविष्य के उपायों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
इससे पूर्व शीर्ष न्यायालय ने पूछा था कि राज्य सरकार एक निजी पार्टी की जांच को क्यों चुनौती दे रही है.
पीठ ने टिप्पणी की थी, “राज्य को एक निजी व्यक्ति के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही सीबीआई के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका क्यों दायर करनी चाहिए? वैसे भी हम स्थगित करेंगे; तब (चुनावों के बाद) इस पर सुनवाई करना अधिक अनुकूल होगा”.
आज सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायालय को बताया कि 43 प्राथमिकी (एफआईआर) की जांच के लिए व्यापक निर्देश दिया है.
हालाँकि, न्यायालय ने संदेशखली में दर्ज प्राथमिकियों पर राज्य की निष्क्रियता पर भी सवाल पूछा.
आप महीनों तक कोई कदम नहीं उठाते हैं.
न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी. और स्पष्ट किया कि टिप्पणियों का मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
शाहजहां शेख को पश्चिम बंगाल पुलिस ने करीब 55 दिनों तक फरार रहने के बाद गिरफ्तार किया था.
उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में सीबीआई को शिकायतकर्ताओं की गोपनीयता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था और एजेंसी को शिकायत दर्ज करने के लिए एक समर्पित पोर्टल/ईमेल आईडी बनाने का आदेश दिया था.
शेख पर आरोप सामने आए थे कि इस साल जनवरी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर भीड़ के हमले के पीछे उनका हाथ था, जब वे राशन घोटाले की जांच के तहत उनके आवास पर छापेमारी करने जा रहे थे.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 5 मार्च को ईडी अधिकारियों पर हमले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.