भुवनेश्वर. कोरोना संकट की बेला में संघ के स्वयंसेवकों के सेवा कार्य और सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण, जल संरक्षण पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल पूर्व क्षेत्र की बैठक में चर्चा और विचार-विमर्श किया गया. 2 दिवसीय बैठक में योजना बनाई गई कि स्वरोजगार, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन कार्यक्रम के आधार पर सेवा कार्य को आगे बढ़ाना होगा. कोरोना के चलते बदले हुए परिवेश के मध्य अधिक जिम्मेदारी सहित कार्य करने के लिए स्वयंसेवकों का आह्वान किया गया. बैठक में संघ कार्य की समीक्षा के साथ सांप्रतिक परिस्थिति की समीक्षा की गई और आगामी कार्यक्रम विमर्श किया गया. कुटुम्ब प्रबोधन जैसे सामाजिक विषय पर विस्तार से चर्चा की गई.
25 व 26 नवंबर को भुवनेश्वर के तेरापंथ भवन में संघ के कार्यकारी मंडल पूर्व क्षेत्र की बैठक संपन्न हुई. बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी, सरकार्यवाह सुरेश जी जोशी सहित पश्चिम बंगाल, ओडिशा, अंदमान व निकोबार के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के 35 सदस्यों ने हिस्सा लिया.
कोरोना के चलते सामाजिक परिवेश बदला हुआ है, अतः बदले हुए परिवेश में स्वयंसेवकों को को कार्यशैली बदलनी होगी. खुले मैदान में शाखा लगाते समय करोना गाइडलाईन का पूरी तरह से पालन करते हुए सावधानीपूर्वक सामाजिक दूरी बनाए रखने पर जोर दें.
वर्तमान की सुरक्षा परिवेश की सुरक्षा है. परिवेश की सुरक्षा का मसला आते ही जल संरक्षण, जल प्रबंधन, पानी की बर्बादी रोकना, प्लास्टिक के उपयोग पर पाबंदी जैसे जागरुकता अभियान चलाना होगा. हम जल निर्माण नहीं कर सकते मगर जल का सरंक्षण कर सकते हैं. पेड़ लगा सकते हैं. अतः ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना होगा. मंदिर, जल स्रोत, श्मशान सभी के लिए खुले रहें. जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा के लिए परिवेश सुरक्षा के लिए इन्हें प्रदूषण से बचाना होगा. प्लास्टिक का उपयोग रोकने के लिए बैठक में जोर दिया गया. परिवार प्रबोधन के लिए संघ के स्वयंसेवक जो काम कर रहे हैं, उसे और अधिक जिम्मेदारी के साथ करना होगा. कोरोना संकट काल के दौरान संघ द्वारा अनेक सेवा कार्य चलाए गए, इसमें अनेक संगठन एवं व्यक्ति विशेष ने भी योगदान दिया है. ऐसे लोगों से निरंतर संपर्क बनाए रखने पर बैठक में चर्चा की गई.