देहरादून. समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित न्यायपालिका, प्रशासनिक सेवा, सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों के मंच ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने पर विशिष्ट लक्षित नागरिकों के प्रति हिंसा की जांच की मांग महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द से की.
राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में पदाधिकारियों ने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने वाले लोगों के विरूद्व प्रतिशोध हिंसा, बलात्कार, हत्या और आगजनी करने वालों के विरूद्व जांच एन.आई.ए. को सौंपने की मांग की. मंच ने चिन्ता व्यक्त की कि हिंसा के शिकार लोगों को जान बचाने के लिए पड़ोसी राज्यों में भागकर शरण लेनी पड़ी है.
न्यायाधीश बी.सी. काण्डपाल ने बताया कि पश्चिम बंगाल के 23 में से 16 जिले हिंसा से प्रभावित हुए है. महिलाओं सहित 25 लोग हिंसा में मारे गए हैं. 15 हजार से अधिक हिंसा की घटनाएं हुईं. 4000 से 5000 लोग कथित रूप से सीमावर्ती प्रदेशों में पलायन कर चुके हैं. ऐसे शरणार्थी बने लोगों के लिए राहत पैकेज की आवश्यकता है. लक्ष्य करके नुसूचित जाति, जनजाति और धार्मिक बे अदबी की घटनाएं सबसे खराब अभिव्यक्ति है. विशेष पोशाक और एक पार्टी के लोगों द्वारा प्रतिशोध की भावना से हिंसा करने वालों तथा उन लोक सेवकों के विरूद्व भी कार्यवाही हो जो निष्पक्ष कार्यवाही में विफल रहे हैं. एन.आई.ए. द्वारा जांच जरूरी है, क्योंकि मामला देश की एकता और अखंडता पर हमला है.
सेवानिवृत्त मेजर जनरल रणवीर यादव ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का मामला है, परंतु नव निर्वाचित सरकार पश्चिम बंगाल में हिंसा रोकने, हिंसा की निष्पक्ष जांच करने एवं दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करने में पूर्णतः असफल रही है. जबकि नागरिकों की पूर्ण सुरक्षा का जिम्मा राज्य सरकार का होता है. किसी भी प्रकार की जान, माल या सम्पत्ति के नुकसान की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है.
उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश, नैनीताल हाईकोर्ट न्यायाधीश बी.सी. काण्डपाल और सेवानिवृत्त मेजर जनरल रणवीर यादव ने “बंगाल बचाओ” (Save Bengal) विषय पर वर्चुअल पत्रकार वार्ता को संबोधित किया. इस अवसर पर सेवानिवृत्त मेजर जनरल के.डी. सिंह और (Save Bengal) के सदस्य राजेश सेठी उपस्थित रहे. सुभाष कुमार पूर्व मुख्य सचिव पारिवारिक कारणों से प्रेस वार्ता में नहीं जुड़ सके. राजेश सेठी ने वर्चुअल प्रेस वार्ता का संचालन किया.