2290 करोड़ रुपये के सैन्य उपकरण खरीदने को स्वीकृति, 73 हजार असॉल्ट रायफल की खरीद होगी
नई दिल्ली. सैन्य उपकरण और हथियारों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से सरकार ने नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीएपी 2020) की घोषणा कर दी. नई प्रक्रिया में अहम बदलाव करते हुए सैन्य उपकरणों को को लीज़ पर लेने के विकल्प भी खोल दिए गए हैं. इसके पश्चात अब लड़ाकू हेलिकॉप्टर, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, नौसैनिक जहाज से लेकर युद्धक समान देश-विदेश कहीं से भी अनुबंध पर लेने का रास्ता खुल गया है.

सोमवार (29 सितंबर) को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में डीएपी-2020 को स्वीकृति प्रदान की गई. रक्षामंत्री ने कहा कि नई रक्षा खरीद प्रक्रिया में मेक इन इंडिया के तहत घरेलू रक्षा कंपनियों को ताकत देने की पूरी व्यवस्था की गई है जो प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप है. इसका लक्ष्य भारत को रक्षा क्षेत्र में एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है.
रक्षा क्षेत्र की हाल में ही घोषित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नई नीति के दृष्टिगत डीएपी-2020 में घरेलू कंपनियों को प्रोत्साहित करने का प्रावधान रखा गया है. मेक-1 और मेक-2 के अंर्तगत डिजाइन और विकास से जुड़ी कंपनियों को भारतीय नियंत्रित कंपनियों के लिए ही आरक्षित रखा गया है. रक्षा खरीद की नई प्रक्रिया एक अक्तूबर से लागू हो गई है. सीमित संसाधनों की चुनौती के बीच देश की रक्षा और सैन्य समान की जरूरतों को देखते हुए अनुबंध के विकल्प को खरीद प्रक्रिया के अहम हिस्से के रूप में शामिल किया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों से समझौता किए बिना पूंजीगत खर्च में कमी लाने के मकसद से हथियारों और सैन्य समान को लीज पर लिया जा सकेगा. अभी केवल रूस से नौसैनिक पनडुब्बी लीज पर लिए जाने के अपवाद के अलावा यह विकल्प नहीं था.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, नये डीएपी के बाद युद्धक हेलिकॉप्टर और सैन्य उपकरण-हथियार, मिलट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, नौसैनिक जहाज आदि किराए पर लिए जा सकेंगे. तात्कालिक या आपात जरूरतों के हिसाब से इनके लिए लीज सौदे का विकल्प होगा, जबकि घरेलू छोटी कंपनियों के हित का ख्याल रखते हुए 100 करोड़ तक की रक्षा जरूरतों की आपूर्ति एमएसएमइ सेक्टर के लिए आरक्षित रखा गया है.
रक्षा मंत्रालय में महानिदेशक रक्षा खरीद अपूर्व चंद्रा ने कहा कि पहली बार डीएपी में लीज का विकल्प इसलिए रखा गया है कि दूरगामी लिहाज से यह कम खर्चीला होगा. इससे कॉन्ट्रैक्ट प्रबंधन का एक नया रास्ता खुलेगा. साथ ही मेंटेनेंस की चुनौती और खर्च में भी कमी आएगी, क्योंकि किराए पर देने वाली कंपनी या देश ही अपने साजो-सामान, उपकरणों व हथियारों के रखरखाव का जिम्मा उठाएगा.
रक्षा खरीद परिषद ने 2290 करोड़ रुपये के सैन्य साजो-सामान की खरीद को भी मंजूरी दी है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में संपन्न डीएसी की बैठक में सीमा के अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के लिए सिग सौर असाल्ट रायफल भी शामिल हैं. करीब 73000 असाल्ट रायफलों की खरीद पर 780 करोड़ रुपये खर्च होंगे. अर्जुन टैंक के लिए यूनिट रिपेयर व्हीकल की खरीद को भी मंजूदी दी गई है. जबकि 970 करोड़ से खरीद जाने वाले स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन सिस्टम से नौसेना और वायुसेना की मारक क्षमता में बढ़ोतरी होगी. स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन की खरीद पर करीब 540 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इन रक्षा उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति देशी और विदेशी दोनों कंपनियों से की जाएगी.