शिमला (विसंकें). सोलन जिला के किसान की बेटी ने आत्मनिर्भरता का मार्ग चुना. एमकॉम की पढ़ाई करने के बाद रितिका शर्मा के पास रोजगार के कई अवसर थे. वह अन्य युवाओं की तरह अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकती थी, लेकिन उसने स्वरोजगार की राह चुनी. रितिका का मानना है कि युवा पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी के पीछे भागना शुरू कर देते हैं, जिससे उनका बहुत सा समय नौकरी के लिये तैयारी करने में चला जाता है. इस प्रवृति से बचते हुए रितिका शर्मा ने निजी कारोबार की योजना बनाई जो देशभर में अपनी गुणवत्ता और प्रेजेंटेशन को लेकर सुर्खियां बटोर रहा है. रितिका आज 12 अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान कर रही है.
रितिका के पिता हेमराज शर्मा कई वर्षों से कृषि कार्य कर रहे हैं. लेकिन अब बेटी के प्रयासों को गति प्रदान करने के लिए वह भी अपनी बेटी के साथ उसके कारोबार में सहायता कर रहे हैं. रितिका ने खादी ग्रामोद्योग बोर्ड से ऋण लेकर स्वरोजगार शुरू किया.
पानी के कारोबार को रितिका ने अपनी योग्यता से खास बनाया है. सोलन में मौजूद प्राकृतिक जल स्रोतों से जल संग्रहण करने के बाद उन्हें आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल बोतलों में पैक किया जाता है. पानी में हर प्रकार के आवश्यक मिनरल उपलब्ध हैं और यह उत्पाद अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. विभागीय जांच के बाद पानी को फिल्टर किया जाता है और उसके बाद उसकी गुणवत्ता परखी जाती है. इसके बाद बोतल में पैक कर दिया जाता है.
बोतल की अपनी विशेषता है. सोलन के रिस्पॉन्सिबल वाटर यूनिट में यह एल्युमिनियम की बोतल तैयार की जाती है. यह बोतल पर्यावरण को दूषित होने से बचाती है और इसको पूरी तरह से रिसाईकल किया जा सकता है. बोतलों की रिसाईकलिंग महाराष्ट्र में होती है. इससे विक्रेता को दोगुना लाभ होता है. कंपनी में रोजाना 10 हजार बोतल बनाने की क्षमता है. फिलहाल कंपनी में 500 एमएल की बोतल बनायी जा रही है जो 25 रूपये में बनकर तैयार होती है. बाजार में इसका दाम 60 रुपये प्रति बोतल रखा गया है. बोतल में भरा पानी 9 महीने तक खराब नहीं होता और एल्युमिनियम की बोतल होने के कारण हानिकारक कैमिकल का निर्माण नहीं होता और इसकी उम्र भी लंबी होगी.
रितिका का कहना है कि उन्होंने फरवरी में अपना कारोबार शुरू किया. बाद में लॉकडाउन के कारण नुकसान उठाना पड़ा. लेकिन अब जब लॉकडाउन की सख्ती कम हो रही है तो उनका कारोबार कई होटलों और कंपनियों के साथ मिलकर गति पकड़ रहा है. खादी बोर्ड ने उनकी काफी सहायता की और बोर्ड की तरफ से लगभग 35 फीसदी का अनुदान भी प्रदान किया गया. जिस कारण अपना कारोबार शुरू करने में काफी राहत मिली.
हेमराज शर्मा ने बताया कि वर्तमान में कंपनी से रोजाना तीन हजार पानी की बोतलें दिल्ली में पहुंचाई जा रही हैं. अब कैथल, हरियाणा की एक फर्म ने भी बड़ा ऑर्डर दिया है. इतना ही नहीं, उनके प्रोडक्ट को देखने के बाद एयरलाइन कंपनी और रेलवे बोर्ड के अधिकारी भी इसकी खरीद के लिए इच्छुक हैं
प्रदेश खादी ग्रामोद्योग के उपाध्यक्ष पुरूषोतम गुलेरिया बताते हैं कि उनके पास युवाओं के लिए अनेक योजनाएं हैं, जिसका लाभ युवाओं को उठाना चाहिए. रितिका ने अच्छा प्रयास किया है. वह पर्यावरण के संरक्षण के साथ देश के लोगों को शुद्ध जल उपलब्ध करवा रही हैं.