नई दिल्ली. कोरोना संकट के उबरने के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत राज्यों को 4,939 करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी गई है. पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना के तहत 27 राज्य इसका लाभ ले रहे हैं. तमिलनाडु ने अभी तक आवंटित राशि नहीं ली है. वित्तमंत्री ने 12 अक्तूबर को आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की थी. वित्त मंत्रालय की ओर से कुल 27 राज्यों के 9,879 करोड़ रुपये के खर्च से जुड़े प्रस्तावों को स्वीकृत किया गया है. और पहली किस्त की राशि भी जारी कर दी है. ये राशि स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, जलापूर्ति, सिंचाई, बिजली, परिवहन, शिक्षा, शहरी विकास जैसे अर्थव्यवस्था के अलग अलग क्षेत्रों की परियोजनाओं में खर्च होगी.
पैकेज में बिहार को 843 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे और 421.50 करोड़ जारी किए गए हैं, जबकि हरियाणा को आवंटित 91 करोड़ में से 45.50 करोड़, झारखंड को आवंटित 277 में से 138.50 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश को आवंटित 1501 करोड़ में से 750.50 करोड़ रुपए और उत्तराखंड को आवंटित 450 करोड़ में से 217 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं.
अतिरिक्त 2 हजार करोड़ रुपये का भी प्रावधान
इस योजना के माध्यम से केंद्र सरकार कोरोना महामारी के कारण टैक्स वसूली में हुए घाटे के चलते रुके हुए खर्च को प्रोत्साहित करना चाहती है. इसके अंचतर्गत देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र को 200 करोड़ रुपये, अधिक आबादी और भौगोलिक क्षेत्र को देखते हुए, असम को इस योजना के तहत 450 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. बाकी राज्यों के लिए 7500 करोड़ रुपये की राशि तय की गई है.
इसका आवंटन इन राज्यों के बीच वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की अंतरिम मंजूरी के अनुरूप केन्द्रीय कर के उनके हिस्से के अनुपात में किया गया है. वहीं एक राष्ट्र एक राशन कार्ड, व्यवसाय करने की सुगमता सुधार, शहरी स्थानीय निकाय और उपयोगिता सुधार तथा बिजली क्षेत्र में सुधार जैसे विषयों पर काम करने वाले राज्यों के लिए अतिरिक्त 2 हजार करोड़ रुपये का भी प्रावधान है.
मंत्रालय ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य उन राज्य सरकारों को पूंजीगत खर्च के लिए प्रोत्साहित करना है जो कोविड-19 महामारी के कारण टैक्स रेवेन्यू में कमी का सामना कर रहे हैं. राज्यों को 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर लोन का आवंटन किया गया है. आयोग ने पिछले साल नवंबर में अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी. 3 दिसंबर तक राज्यों को अनुदान के रूप में 1.18 लाख करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं.