नई दिल्ली. सेवा समर्पण का भाव हमारी जीवन शैली में बसा है. समाज पर संकट आए या समाज को हमारी आवश्यकता हो, हम हमेशा तैयार रहते हैं. भले ही उसमें अपने प्राणों का ही संकट क्यों न हो. इसका एक उदाहरण कोरोना महामारी से निपटने के लिए तैयार की जा रही दवा के मानवीय परीक्षण को लेकर भी सामने आया.
को-वैक्सीन के मानवीय परीक्षण के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को अनुमति मिली तो तैयारियां प्रारंभ हुईं. 19 जुलाई को एम्स की एथिक्स कमेटी से मंजूरी मिल गई. एम्स सहित देश के एक दर्जन संस्थानों में यह परीक्षण होना है. अनुमति मिलने के पश्चात आवश्यकता थी, वालंटियर्स की. जिन पर दवा का परीक्षण किया जाना था. इसके लिए एम्स को 100 स्वयंसेवकों की आवश्यकता थी. संस्थान ने आह्वान किया, और दवा के परीक्षण के लिए स्वयंसेवकों (वालंटियर) की लाइन लग गई. दवा के मानव परीक्षण के लिए 2000 स्वयंसेवकों ने अपने आप को प्रस्तुत किया. एक आह्वान पर समाज से मिला प्रतिसाद चिकित्सा संस्थान के लिए भी उत्साहवर्धक था. एम्स में दवा के मानव परीक्षण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
भारत का संवेदनशील समाज हर आपत्ति- विपत्ति में अपने प्राणों की परवाह किये बिना सहायता के लिए स्वयं को आगे प्रस्तुत करता है. कोरोना संकटकाल में भी समाज ने प्रमाणित कर दिखाया है.
एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के लिए जरूरी 100 लोगों के बजाय संख्या के 2 हजार से अधिक तक पहुंचने को सकारात्मक और संवेदनशील भारत का संस्कार बताया.
एम्स में कोविड वैक्सीन प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर व कम्युनिटी मेडिसिन हेड प्रो. डॉ. संजय राय ने कहा कि – एम्स में होने वाले कोविड-19 के एंटी वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल में शामिल होने के लिए वॉलंटियर्स के बीच होड़ लग गई है. वास्तव में भारत में ही तैयार को-वैक्सीन के प्रति लोग बहुत उत्साहित हैं और हमें भी यह “हाउ इज़ द जोश” की स्थिति उत्साहपूर्ण लग रही है, जिस प्रकार लोगों में इस ट्रायल से जुड़ने का उत्साह देखा जा रहा है, वह एम्स प्रशासन के लिए भी किसी जोश से कम नहीं है.
कोरोना संकट से निजात के लिए विभिन्न देशों में कोरोना वैक्सीन के अनुसंधान को लेकर प्रयास हो रहे हैं. सबका प्रयास है कि जल्दी से जल्दी और अच्छी प्रभावकारी दवा प्राप्त हो. अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया, रूस और भारत सहित दर्जनों देश कोरोना वैक्सीन की खोज के अनुसंधान में लगे हैं. भारत में भी कोरोना के विरुद्ध जंग में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) भी कोरोना वैक्सीन के आविष्कार के लिए निरंतर प्रयासरत है. आईसीएमआर और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के सहयोग से हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने एक स्वदेशी कोरोना वैक्सीन – कोवैक्सीन (COVAXIN) को तैयार किया है, जिसे भारत के औषधि महानियंत्रक ने मानव परीक्षण की अनुमति दी थी. अपने ही देश में विकसित और उत्पादित कोवैक्सीन आत्मनिर्भर भारत और विश्व में विशेष माने जाने वाले भारतीयों की गौरवगाथा बढ़ाने में मील का पत्थर सिद्ध हो सकती है.
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि मानव परीक्षण का चरण शुरू हो चुका है और यह बहुत ही प्रशंसनीय है क्योंकि यह स्वदेशी टीका है. नया टीका बनाना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और अब हम अनुसंधान तथा विकास के क्षेत्र में हैं, और फिर इसका व्यापक उत्पादन करने में सफल हो रहे हैं. एम्स-दिल्ली उन 12 संस्थानों में शामिल है, जिन्हें भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ‘कोवैक्सीन’ के पहले और दूसरे चरण के मानव परीक्षण के लिए चुना है. पहले चरण में 375 स्वयंसेवियों पर टीके का परीक्षण किया जाएगा, जिनमें सर्वाधिक 100 एम्स से होंगे.
डॉ. संजय राय ने कहा कि ट्रायल में शामिल होने वाले सभी वॉलंटियर्स की कोरोना जांच होगी. नेगेटिव पाए जाने पर ही उन्हें ट्रायल में शामिल किया जाएगा. मतलब जिन्हें पहले से कोविड हुआ है या जो संक्रमित हैं, उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाएगा. इसके अलावा कई अन्य प्रकार की जांच होगी, जिसके लिए उनके ब्लड सैंपल लिए जाएंगे. सभी रिपोर्ट सही पाए जाने के बाद ही ट्रायल में शामिल किया जाएगा.
एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने कहा, पहले चरण में हम टीके की सुरक्षा देखते हैं जो प्राथमिक महत्व का विषय है और खुराक की मात्रा की गणना भी की जाती है. हम देखते हैं कि यह प्रतिरक्षा के मामले में कितना सक्षम है और फिर बाद में तीसरे चरण का परीक्षण होता है, जिसमें टीके के चिकित्सकीय लाभ देखने के लिए बड़ी आबादी को शामिल किया जाता है.
दूसरे चरण में, सभी 12 स्थलों से लगभग 750 स्वयंसेवी शामिल होंगे. पहले चरण का परीक्षण 18 से 55 साल की उम्र तक के स्वस्थ लोगों पर किया जाएगा, जिन्हें कोई सहरुग्णता न हो. परीक्षण के पहले चरण में ऐसी महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा जो गर्भवती न हों. दूसरे चरण में 750 लोगों को शामिल किया जाएगा, जिनकी उम्र 12 से 65 साल के बीच होगी.
कोरोना वैश्विक महामारी के रूप में चीन ने सारे विश्व को ऐसा डर्टी गिफ्ट दिया जो समूचे विश्व के लिए 21वीं सदी का अभिशाप सिद्ध हो रहा है. चीन के वुहान से निकले कोरोना से दुनियाभर में अब तक 1 करोड़ 54 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं तो मृतकों का आंकड़ा 06 लाख 43 हजार से अधिक हो चुका है. विश्वशक्ति अमेरिका में कोरोना से 41.77 लाख से अधिक संक्रमित हो चुके हैं, और 1.46 लाख से अधिक की मृत्यु हो चुकी है. ब्राजील में 23.94 लाख से अधिक संक्रमित, 86 हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं.