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शिव और भारत संतुलन की प्रतिमूर्ति है – मुकुन्द जी

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महामना परिवार – महासंचलनम

काशी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद जी ने कहा कि आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो भारत और शिव दोनों एक ही तत्व को प्रतिपादित करते हैं. वह तत्व है संतुलन. जिसका एक अर्थ है धर्म, धर्म अर्थात धारण करने की शक्ति. भारत की संतुलन की क्षमता ही धर्म है, वही शिव है.

सह सरकार्यवाह जी गुरुवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 108वें स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी दक्षिण भाग के महामना नगर द्वारा आयोजित महामना परिवार-महासंचलनम कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि काशी विश्व की प्राचीनतम सजीव नगरी है, ऐसी पुण्य नगरी में प. मदन मोहन मालवीय जी ने हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की. यह विश्वविद्यालय विश्वनाथ के प्रसाद स्वरुप गंगा माता के तट पर स्थापित है. इसका उद्देश्य हिन्दू नाम मानवर्धन करना है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य भी हिन्दू संस्कृति, धर्म, हिन्दू समाज का संरक्षण एवं संवर्धन करना है. विश्वविद्यालय के प्रथम कुलाधिपति मैसूर नरेश ने कहा था कि हिन्दू एक जीवन शैली है. जब हिन्दू समाज पतन की ओर जा रहा था और आत्मकेंद्रित हो रहा था, ऐसे में समाज में संस्कारों को पुनर्जीवित करने का कार्य प. मालवीय जी और डॉ. हेडगेवार ने किया. संघ को जो भी आवश्यकता हुई, इस विश्वविद्यालय में महामना जी ने उपलब्ध कराया. द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी इसी परिसर में संघ से जुड़े.

मुकुंद जी ने परिवार व्यवस्था पर कहा कि समाज को युगानुकूल संस्कार देना परिवार की ही जिम्मेदारी है. पौध वितरण कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि पर्यावरण का विषय बहुत विराट है. परन्तु पौधा, पानी और प्लास्टिक पर समाज का प्रबोधन करने की आवश्यकता है. सभी समाज के लिए एक जल स्रोत, एक मंदिर, एक शमशान के संघ के संकल्प को दोहराया.

कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए डॉ. विवेक पाठक जी ने बताया कि सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, विद्या, देशभक्ति, आत्मत्याग के शिक्षण हेतु इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है. कार्यक्रम में सह सरकार्यवाह मुकुंद जी सहित सभी मंचस्थ अतिथिगण को स्मृति चिन्ह एबं रुद्राक्ष की माला भेंट की गई. कार्यक्रम का प्रारम्भ राष्ट्रगान एवं विश्वविद्यालय के कुलगीत द्वारा किया गया. इसके उपरांत मन की एकाग्रता एवं पर्यावरण की शुद्धता के लिए ब्रह्मनाद के पाँचों प्रकार का उच्चारण किया गया.

मंच पर निर्मला एस मौर्य, कुलपति, पूर्वांचल विश्वविद्यालय, सुनील डबास, एडमिरल सुनील आनंद, जगतगुरु अनंतानंद जी, सूर्यकान्त जालान, मनोहर राम जी एवं विभाग संघचालक जयप्रकाश लाल जी उपस्थित रहे.

पांच वैदिक विद्वानों द्वारा मंत्रोच्चार के बीच भारत माता की भव्य आरती की गयी. उपस्थित जनसमूह द्वारा मोबाइल के फ़्लैश लाइट जलाकर आरती में सहयोग करना कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा. भारत माता के चित्र के समीप उपस्थित जनसमूह द्वारा मनोवांछित फल प्राप्ति हेतु वन्दनवार में आम और पीपल के पत्ते लगाए गए. कार्यक्रम में बनेठी कला के प्रदर्शन ने परिसर के सभी लोगों को आकर्षित किया.

36 फीट ऊँचे संघ ध्वज का ध्वजारोहण

स्थापना दिवस पर प्रतिवर्ष होने वाला ध्वजारोहण इस बार ऐतिहासिक रहा. कार्यकर्ताओं द्वारा 36 फीट के ध्वजदण्ड पर ध्वजारोहण किया गया. इसके अतिरिक्त कार्यक्रम स्थल पर लहराने वाले ध्वज एवं पताकाओं के ध्वजदंड की कुल लम्बाई 1080 फीट रही.

पूर्वोत्तर भारत के कलासाधकों ने किया लोक कला का प्रदर्शन

कार्यक्रम में पूर्वोत्तर भारत के असम, मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम एवं नागालैंड से आए कलाकारों ने लोक नृत्य, लोक गायन की प्रस्तुति देकर भारत की विविधता में एकता को प्रदर्शित किया.

कार्यक्रम में पर्यावरण गतिविधि द्वारा 108 पौधों का वितरण कर पर्यावरण संरक्षण का सन्देश दिया गया. सभी पौधों को महामना परिवार बीएचयू के चयनित पर्यावरण मित्रों को वितरित किया गया.

अभिभावकों के साथ आए बच्चे विभिन्न महापुरुषों के वेष धारण कर लोगों को मोहित कर रहे थे. स्वामी विवेकनन्द, मालवीय जी, डॉ. हेडगेवार एवं श्री गुरूजी सहित अन्य महापुरुषों के वेषधारी बच्चों ने भारत की अखंडता एवं एकता का सन्देश दिया.

कार्यक्रम में बने 16 सेल्फी प्वाइंट पर काफी संख्या में लोग रहे. विभिन्न महापुरुषों के कट आउट से सजे परिसर में लोग सेल्फी लेते दिखे. कार्यक्रम का समापन 4 मन्त्रों के माध्यम से किया गया. अन्त में प्रसाद का वितरण हुआ.

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