काशी. श्री काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं की परेशानी को देखते हुए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने एक नई पहल की है. श्रद्धालुओं को नंगे पैर दर्शन करने में हो रही परेशानी को देखते हुए आयोग ने कागज से बने हैंडमेड चप्पल बाजार में उतारे है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चक श्रीकांत मिश्रा ने लक्सा स्थित खादी इंडिया स्टोर के काशी हस्तकला प्रतिष्ठान में इसका उद्घाटन किया. खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के निदेशक डीएस भाटी ने बताया कि यह चप्पल देखने में सुंदर हैं.
खादी ने इसे कागज से तैयार किया है. चप्पल के तलवे में मोटे दफ्ती का इस्तेमाल किया गया है. चप्पल में लगी बद्धि भी कागज की है. इसके टिकाऊपन की बात करें तो पानी से अगर इसे बचाया जाए तो यह चार महीने तक चलेगी. लोग इसका उपयोग घर में भी पूजा पाठ के लिए कर सकेंगे. जो श्रद्धालु बाबा श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन करने आएंगे, अब उन्हें नंगे पांव नहीं जाना पड़ेगा. इसकी कीमत मात्र 50 रुपये है.
मकर संक्रांति के पर्व पर खादी ने श्रद्धालुओं, सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों के लिए विशेष कागज का चप्पल बाजार में उतारा है. इससे खादी से जुड़े लोगों को रोजगार का एक और माध्यम मिलेगा. खादी से लोग जुड़ेंगे.
यूज एंड थ्रो वाले यह चप्पल मंदिर परिसर में काम करने वाले कर्मचारी और दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराए जाएंगे. इससे मंदिर परिसर की शुचिता और सफाई व्यवस्था भी बेहतर होगी व बाहर से चप्पल जूता पहनकर मंदिर परिसर में लोग नहीं आ सकेंगे. यह चप्पलें मंदिर परिसर में खादी की दुकान पर उपलब्ध होंगी.
वहीं, प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर के कर्मचारियों के लिए जूट से बनी सौ चप्पलें भेजी हैं. प्रधानमंत्री को यह जानकारी मिली थी कि वहां काम करने वाले लोगों को नंगे पैर संगमरमर पर खड़े होना पड़ता है. भीषण ठंड के कारण सेवादारों और कर्मचारियों के साथ ही यहां तैनात सुरक्षाकर्मियों को परेशानी होती है. इसी को देखते हुए जूट के जूते पीएम मोदी ने भेजे. ये चप्पलें पर्यावरणानुकूल हैं और कम कीमत पर उपलब्ध होंगी.
मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि कर्मचारियों को जूट की चप्पलों का वितरण किया गया है. कागज की चप्पल आने के बाद श्रद्धालुओं को भी सुविधा होगी.