सोनभद्र, काशी (विसंकें). काशी प्रान्त के सोनभद्र जिले में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान में माता शबरी का रूप देखने को मिला. अभियान हेतु जन जागरण कार्यक्रम में उस समय भावुक कर देने वाला क्षण उत्पन्न हो गया, जब एक महिला ने विवादित ढांचा विध्वंस के समय से अपने घर में दानपात्र बनाकर श्रीराम मंदिर के लिए एकत्र कर रही अपनी श्रद्धानिधि को निधि समर्पण हेतु जनजागरण में लगे कार्यकर्ताओं को सौंपा.
सोनभद्र नगर में रविवार को सुबह प्रभात फेरी का कार्यक्रम रखा गया था. श्रीराम नाम धुन जपते हुए कार्यकर्ता गली-गली प्रभात फेरी लगा रहे थे. उसी समय एक महिला उनसे मिली. महिला ने प्रभात फेरी करने वाले कार्यकर्ताओं से अपने द्वारा संकल्पित धनराशि को लेने का आग्रह किया.
कार्यकर्ताओं ने बताया कि महिला की जितनी महिमा गाई जा सके कम है. महिला की तुलना माता शबरी से करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह माता शबरी भगवान श्रीराम के इंतजार में बेर इकट्ठा करती रही, उसी तरह माता सीता देवी ने भी 6 दिसंबर, 1992 से एक-एक रुपये का सिक्का जुटाकर मंदिर निर्माण के लिए धनराशि समर्पित करने का संकल्प लिया था.
कार्यकर्ता सीतादेवी पत्नी रामनिहोर केशरी की दुकान पर पहुंचे, जो छोटी सी मिट्टी के बर्तन दीपक आदि की दुकान थी. जिसमें बिक्री हेतु सामान भी बहुत कम था. महिला ने अपने बच्चे को संकल्पित धनराशि लाने के लिए कहा, तो दो लोग मिलकर उस धनराशि को लेकर आए जो एक और दो रुपये के सिक्कों में थी. महिला ने बताया कि जिस दिन ढांचा गिरा, उस दिन मन में यह विश्वास उत्पन्न हो गया कि मेरे जीते जी मंदिर अवश्य बनेगा और वह प्रत्येक दिन एक व दो रुपये का सिक्का मंदिर निर्माण के लिए सहयोग राशि के रूप में इकट्ठा करने लगी. कभी-कभी बिक्री न होने पर शेष रह जाता था. लगभग 9300 रुपये इकट्ठे हो चुके थे, शेष राशि उनके पुत्र उमेश कुमार केशरी ने मिलाकर 11000 की राशि समर्पित की. उनका यह भी कहना था कि उनका संकल्प था कि यदि उनके जीवन काल में मंदिर निर्माण चालू नहीं हुआ तो जब भी मंदिर निर्माण शुरू होगा, उनकी आने वाली पीढ़ी इसी भांति धन संग्रहित कर मंदिर निर्माण हेतु समर्पित करेंगे.
कलयुग में भी माता शबरी का दर्शन साक्षात होगा, ऐसा केवल रामकाज में ही संभव था. वह सभी लोग अत्यंत भाग्यशाली थे, जिनको ऐसी माता का आज निधि समर्पण के दौरान अद्भुत स्वरूप देखने को मिला.