मुंबई (विसंकें).
मैं अब चल सकता हूं. आनंद भरी आंखों से युवराज कह रहा था. युवराज गायकवाड छह वर्ष का बालक. वाघोला में रहने वाले इस बालक के पैरों में बिल्कुल भी शक्ति नहीं थी. उसके लिये दो कदम चलना भी मुश्किल था. उसके माता-पिता उसे लेकर सावित्रीबाई फुले महिला एकात्म समाज मंडल के संजीवनी क्लिनिक में आए. जांच के बाद उसे डॉ. हेडगेवार रुग्णालय में लाया गया. एक शल्यक्रिया के पश्चात युवराज पूर्ण तरीके से ठीक हुआ और अपने पैरों पर चलने लगा.
रोटी, कपड़ा और मकान, इन तीन प्राथमिकताओं के बाद स्वास्थ्य और शिक्षा का समावेश किया गया. समाज के सभी स्तरों के नागरिकों का स्वास्थ्य अच्छा हो, शासन ने योजनाएं तो बनाईं लेकिन समाज के सभी वर्गों तक बेहर स्वास्थ्य पहुंचने में कई कठिनाईयां हैं, विशेष रूप से सेवा बस्तियों में. उपयुक्त आहार और स्वास्थ्य विषयक सुविधाओं के अभाव के कारण जीवन का स्तर घटता जाता है. इसके दीर्घकालीन परिणाम समाज पर दिखाई देते है. यह ध्यान में रखते हुए SPMESM (सावित्रीबाई फुले महिला एकात्म समाज मंडल) ने सेवा बस्तियों और ग्रामीण बस्तियों के लिए अनेक उपक्रम शुरू किये.
संजीवनी ग्रामीण आरोग्य प्रकल्प (औरंगाबाद, ७० गांव), संत रोहिदास सेवा वस्ती आरोग्य प्रकल्प (औरंगाबाद 10 सेवा बस्ती), गुरुवर्य लहूजी साळवे आरोग्य प्रकल्प (औरंगाबाद १२ सेवा बस्ती), संत गाडगे बाबा सेवा बस्ती आरोग्य प्रकल्प (औरंगाबाद ६ सेवा बस्ती), श्री गुरुजी मोबाइल क्लिनिक (औरंगाबाद ११ सेवा बस्ती), उज्ज्वल भारत (८० गांवों के ९१ जिला परिषद प्राइमरी स्कूल), याह मोगी प्रकल्प – माता व बालक आरोग्य प्रकल्प (नंदुरबार जिला 72 दुर्गम गांव), ऐसे अनेक प्रकल्प मंडल द्वारा चलाए जा रहे हैं.
स्वास्थ्य जनजागरण के साथ ही अनेक उपक्रम संस्था द्वारा चलाए जाते हैं. निःशुल्क कैटरेक शल्य क्रिया, कान-नाक-गला शल्य क्रिया, ब्लड शूगर टेस्ट, त्वचा जांच, एनीमिया समुपदेशन, त्वचा विकार जनजागृति, पानी द्वारा संक्रमित होने वाले रोगों के बारे में जनजागृति आदि अनेक उपक्रमों का आयोजन किया जाता है.
गर्भवती महिलाओं और बालकों की स्वास्थ्य विषयक समस्याएं दूर करने के लिए संजीवनी प्रकल्प के अंतर्गत किया जाने वाला कार्य सर्वश्रुत है. अंजनड़ोह के संजीवनी क्लिनिक में पहुंची कविता का ब्लड प्रेशर अत्यधिक बढ़ रहा था, संजीवनी के चिकित्सकों ने उसे औरंगाबाद के सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिल किया और उपचार करवाया. ऐसी अनेक कविता का मातृत्व संजीवनी ने सुलभ किया है. इन प्रकल्पों के क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण आरोग्य मित्र और सेवा बस्ती आरोग्य स्वयंसेवकों की नियुक्ति की जाती है. उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है. स्वास्थ्य विषयक जनजागरण के लिए अपनी परंपराओं का उपयोग किया जाता है. सामूहिक गोदभराई, सामूहिक नामकरण, नवदम्पति शुभेच्छा कार्यक्रम किये जाते हैं. एनीमियाग्रस्त महिलाओं का सर्वेक्षण कर उन्हें एनीमिया से बाहर आने के लिए दवाई और आहार का मार्गदर्शन, स्वस्थ बालक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. मधुमेह और ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए योग शिविर आयोजित किये जाते है.
औरंगाबाद क्षेत्र में नागरिकों का स्वास्थ्य स्तर ऊंचा करने में इन प्रकल्पों का महत्वपूर्ण योगदान है. संस्था के प्रकल्पों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना हुई है. SPMESM ने लोगों में जाकर उनकी समस्याओं का निराकरण किया है.