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दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला में भगवान शिव की मूर्ति

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यत्र तत्र सर्वत्र ‘शिवोऽहम’ का ही नाद आज गूंज रहा है, शिवरात्रि का पर्व है ही पावन और अनोखा. हर व्यक्ति आज के दिन शिव-पार्वती भक्ति में लीन हो जाता है. आज के दिन ही माता पार्वती और भगवान् शिव का विवाह हुआ था. भारत में भगवान शिव के अनेक मंदिर और स्थल हैं, जहाँ उनकी मूर्तियाँ देखने को मिल जाती हैं. भारत की नहीं, बल्कि दुनिया भर में भगवान शिव के होने के प्रमाण मिलते रहते हैं. अनेक देशों में भगवान शिव की मूर्तियाँ खुदाई के दौरान मिली हैं.

दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला में भगवान शिव की नृत्य करती हुई नटराज मूर्ति लगी हुई है. यह मूर्ति स्विटजरलैंड में दुनिया की सबसे प्रसिद्ध फिजिक्स लैब सर्न के परिसर में लगी है. वर्ष 2004 में इस मूर्ति का अनावरण किया गया था. लैब में भगवान की प्रतिमा का होना आस्था और विज्ञान के अनोखे संगम के रूप में देखने को मिलता है.

भौतिक विज्ञान, सिस्टम सिद्धांतवादी और गहरे पारिस्थितिकीविद् फ्रिटजॉफ कैप्रा ने भगवान शिव को धार्मिक कलाकारी और मॉर्डन फिजिक्स का मिश्रण है. शिव का नाचता हुआ रूप ब्रह्मांड के अस्तित्व को रेखांकित करता है. शिव हमें याद दिलाते हैं कि दुनिया में कुछ भी मौलिक नहीं है. सब कुछ भ्रम सरीखा और लगातार बदलने वाला है.

मॉडर्न फिजिक्स भी इस बात की याद दिलाती है कि सभी सजीव प्राणियों में निर्माण और अंत, जन्म और मरण की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है. ये इनऑर्गेनिक मैटर्स पर भी लागू होता है. क्वॉन्टम फिल्ड थ्योरी के अनुसार, किसी भी पदार्थ का अस्तित्व ही निर्माण और अंत के नृत्य पर आधारित है. मॉडर्न फीजिक्स इस बात को उजागर करता है कि सभी सब-एटॉमिक पार्टिकल न सिर्फ एनर्जी डांस करते हैं, बल्कि ये एनर्जी डांस ही निर्माण और संहार को संचालित करता है. मॉडर्न फिजिक्स के लिए शिव का डांस सब-एटॉमिक मैटर का डांस है. ये सभी तरह के अस्तित्व की कुदरती अवधारणा है.

भगवान शिव की मूर्ति से वैज्ञानिक भी प्रेरणा लेते हैं. यहाँ कार्यरत एक रिसर्च स्कॉलर ने कहा था कि शिव की मूर्ति उन्हें प्रेरणा देती है. दिन के उजाले में जब सर्न जीवन के साथ ताल से ताल मिलाता है तो शिव इसके साथ खेलते हुए दिखते हैं. शिव हमें याद दिलाते हैं कि ब्रह्मांड में लगातार चीजें बदल रही हैं. कोई भी चीज स्थिर नहीं है. वहीं रात के अंधियारे में जब हम इस पर गहराई से विचार करते हैं तो शिव हमारे काम से उजागर हुई चीजों की परछाइयों से रूबरू करवाते हैं.

उल्लेखनीय है कि सर्न कई देशों के सहयोग से चलता है, इसमें भारत का सहयोग भी शामिल है. भारत सरकार ने सर्न को तोहफे में यह मूर्ति दी थी, जिसे २००४ में प्रयोगाशाला में लगाया गया था.

भगवान नटराज – नटराज, भगवान शिव का ही अन्य नाम है, इस रूप में भगवान् शिव अपने सबसे उत्तम नर्तक के रूप में रहते हैं. इस दौरान उनकी सबसे प्रचलित स्थिति एक पैर उठाये हुए देखने को मिलती है.

सर्न (CERN)- का पूरा नाम यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्‍यूक्लियर रिसर्च है. 1960 के दशक में इसकी शुरुआत हुए थी. जहाँ पर परमाणु विज्ञान (Atomic Science) संबंधी अध्ययन के लिए न केवल दुनिया के सबसे जटिल उपकरण रखे हैं, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा और शक्तिशाली पार्टिकल एक्सलेटर लार्ज हैड्रन कोलाइडर (LHC) भी रखा हुआ है.

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