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सर्वोच्च न्यायालय ने ‘महंगी और अनावश्यक’ दवाएं लिखने पर जताई नाराजगी

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नई दिल्ली. मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की. न्यायालय ने एलोपैथी चिकित्सकों द्वारा मरीजों को ‘महंगी और अनावश्यक’ दवाएं लिखने पर नाराजगी व्यक्त की.

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ आईएमए से अपना ‘घर ठीक’ करने को कहा. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उंगलियां आप पर भी उठ रही हैं. ‘आपके (आईएमए) डॉक्टर भी एलोपैथी की ऐसी दवाएं लिख रहे हैं. अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आप (आईएमए) से सवाल क्यों नहीं करना चाहिए?’ न्यायालय ने कहा कि आईएमए के इन कथित अनैतिक आचरण को लेकर भी कई शिकायतें हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की भी खिंचाई की और कहा कि वह पतंजलि पर उंगली उठा रहे हैं, लेकिन चार उंगलियां उन पर भी उठ रही हैं. न्यायालय ने आईएमए से पूछा, “आपके डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं. अगर ऐसा हो रहा है, तो हमें आप पर उंगुली क्यों नहीं उठनी चाहिए?’

“आईएमए को अपना घर व्यवस्थित करने की जरूरत है, जहां वो दवाएं लिखी जाती हैं जो महंगी और अनावश्यक हैं. जब भी याचिकाकर्ता एसोसिएशन द्वारा महंगी दवाएं लिखने के लिए पद का दुरुपयोग किया जाता है और उपचार की पद्धति की बारीकी से जांच की जानी चाहिए.”

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि – यह मामला केवल इस अदालत के समक्ष प्रतिवादियों (पतंजलि आयुर्वेद) तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अन्य एफएमसीजी कंपनियां भी जनता को भ्रमित करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं. ये विशेष रूप से उन शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं… जो उनके उत्पादों का उपभोग कर रहे हैं.

शीर्ष अदालत ने कहा कि अन्य एफएमसीजी कंपनियां भी जनता को भ्रमित करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित कर रही हैं, जिससे विशेष रूप से शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और उनके उत्पादों का उपभोग करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है. अब हम सब कुछ देख रहे हैं. हम बच्चों, शिशुओं, महिलाओं को देख रहे हैं और किसी से भी खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है और केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर कदम उठाने चाहिए.’ अदालत ने केंद्रीय मंत्रालयों को भ्रामक विज्ञापनों पर उनके द्वारा पिछले तीन वर्षों में की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.

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