नई दिल्ली. प्रधानमंत्री ने देश में कोरोना व इस जैसी आपदाओं से निपटने के लिए हुए पीएम-केयर्स की घोषणा की थी. इसमें जनता ने भी दिल खोलकर योगदान दिया. पीएम-केयर्स में एकत्रित फंड का उपयोग कोरोना के खिलाफ जंग में किया जा रहा है. लेकिन, विपक्षी दलों को सरकार का प्रयास और जनता का विश्वास दोनों ही पसंद नहीं आए, विपक्षी फंड पर सवाल उठाते रहे.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे पीएम रिलीफ फंड में मर्ज करने की मांग की. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने फंड के दुरुपोग के मनगढ़ंत आरोप लगाए. कुछ लोगों ने सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दाखिल कर पीएम केयर्स फंड को एनडीआरएफ फंड में ट्रांसफर करने की मांग की.
सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन (Centre for Public Interest Litigation) CPIL नाम के एक एनजीओ के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायकर मांग की गई कि पीएम केयर्स फंड में जमा हुए पैसों को नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड यानि NDRF में ट्रांसफर कर दिया जाए क्योंकि, इनके मुताबिक पीएम केयर्स फंड, वर्ष 2005 के डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट का उल्लंघन करता है और राष्ट्रीय आपदा के समय, सरकार को मिला कोई भी दान, अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय आपदा राहत कोष में जाना चाहिए, ना कि ये पैसा पीएम केयर्स फंड में जाना चाहिए. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी.
पीएम केयर्स फंड को लेकर सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि फंड में से अब तक 3100 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं, जिसमें सिर्फ 2000 करोड़ रुपये 50000 वेंटिलेटर की खरीददारी में खर्च किये गए हैं. कोरोना काल में वेंटिलेटर की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी. इसके साथ ही करीब 1 हजार करोड़ रुपया राज्यों को दिया गया है, जिससे दूसरे राज्यों से आ रहे लोगों के लिए क्वारंटाइन सेंटर और खाने पीने पर खर्च किया गया है. पीएम केयर्स फंड की तरफ से 100 करोड़ रुपया कोरोना की दवा तैयार करने के लिए भी दिया गया है, जिससे देश जल्द से जल्द इस महामारी से मुक्ति पा सके. सरकार की तरफ से बताया गया कि पीएम केयर्स फंड एक रजिस्टर्ड पब्लिक ट्रस्ट है और पूरी तरह से पारदर्शी है. इस ट्रस्ट में कितना पैसा आता है और कहां-कहां खर्च होता है सबकी जानकारी सरकार की तरफ से समय समय पर साझा की जाती रही है. इस ट्रस्ट को सिर्फ कोरोना महामारी के लिए बनाया गया है और इसका इस्तेमाल भी सिर्फ कोरोना से लड़ाई के लिए किया जा रहा है.
हमेशा चंदे पर ध्यान
जब देश कोरोना वायरस से लड़ रहा था, तो कांग्रेस को पीएम केयर्स फंड के पैसों की चिंता थी और सोनिया गांधी और राहुल गांधी जोर दे रहे थे कि पीएम केयर्स फंड का पैसा प्रधानमंत्री राहत कोष में चला जाए, क्योंकि प्रधानमंत्री राहत कोष की मैनेजिंग कमेटी में कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष भी शामिल होता है, लेकिन पीएम केयर्स फंड की मैनेजिंग कमेटी में कांग्रेस को जगह नहीं है, इसी से कांग्रेस परेशान थी.
कांग्रेस पार्टी की संस्था राजीव गांधी फाउंडेशन को, कांग्रेस की सरकार के दौरान, सरकारी विभागों, सरकारी संस्थाओं और कंपनियों से खूब चंदा मिलता था. 2005 से 2008 तक कई बार प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से भी राजीव गांधी फाउंडेशन को चंदा मिला था. इसलिए कांग्रेस का ध्यान हमेशा चंदे पर रहता है.