कछार (असम). राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांताक्का ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने पूरे विश्व में हिन्दुत्व के चिंतन की श्रेष्ठता को स्थापित किया. जब देश गुलाम था और स्वाभिमान शून्य हो गया था. उन्होंने स्वाभिमान जगाया. प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा स्थापित पवित्र परंपरा को, संस्कृति को मान-सम्मान दिलाया.
शांताक्का स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति द्वारा कछार जिला मुख्यालय में शनिवार को आयोजित विशिष्ट नागरिक सभा में संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा, भगवान श्रीराम ने हमें संदेश दिया कि “जननी जन्मभूमिश्च, स्वर्गादपि गरियसी” यानी मां और मातृभूमि सबसे महान है. आज हम जो आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, उसके लिए कितने लोगों ने अपने जीवन का त्याग और बलिदान किया है.
सरस्वती स्मारक समिति के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि शांताक्का ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. विशेष अतिथि के रूप में डॉ. दर्शना पटवा उपस्थित रहीं. अतिथि स्वागत और उद्बोधन गीत के पश्चात सरस्वती स्मारक समिति की सचिव प्रतिमा चक्रवर्ती ने समिति के गतिविधियों के बारे में जानकारी दी.
राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापक स्वर्गीय लक्ष्मीबाई केलकर द्वारा लिखित पुस्तक पथदर्शनी श्रीराम कथा पर डॉ. स्मिता भट्टाचार्य ने प्रकाश डाला. राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख तथा दक्षिण असम की प्रांत प्रचारिका सुपर्णा डे ने पुस्तक के हिंदी से बांग्ला अनुवाद में आने वाली कठिनाइयों का जिक्र किया तथा इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि समिति की प्रमुख संचालिका के हाथों बांग्ला अनुवाद का विमोचन हो रहा है. तत्पश्चात पुस्तक का विमोचन शांताक्का के करकमलों से हुआ.
इस अवसर पर ई-मैगज़ीन समिति मंथन के कवर पेज का भी विमोचन किया गया. सरस्वती स्मारक समिति की अध्यक्ष अलका देव ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम का संचालन समिति की प्रांत बौद्धिक प्रमुख एवं प्रचार प्रमुख मुक्ता चक्रवर्ती ने किया.
राष्ट्र सेविका समिति द्वारा आजादी के 75वें वर्ष के मद्देनजर अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में पूरे देश में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इसी के अंतर्गत शनिवार को नागरिक सभा का आयोजन किया गया.