नई दिल्ली. पाकिस्तान भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर राग अलापता रहता है, विशेषकर कश्मीर को लेकर पाकिस्तान को बहुत चिंता सताती है. लेकिन, इमरान पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति और धार्मिक आजादी को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कभी चर्चा नहीं करते. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की बदतर स्थिति उन्हें नजर नहीं आती.
पाकिस्तान में एक और हिन्दू मंदिर में तोड़फोड़ का मामला सामने आया है. रावलपिंडी के पुराना किला क्षेत्र में स्थित 74 साल के पुराने मंदिर में कट्टरपंथियों ने रविवार को हमला किया. और मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. मंदिर में पुननिर्माण और मरम्मत का काम चल रहा था. इसके चलते मंदिर में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान नहीं हो रहा था. यह सब उस पाकिस्तान का हाल है, जो भारत पर मानावधिकार के हनन को लेकर उंगलियां उठाता रहता है.
पाकिस्तान में हिन्दू ही नहीं, वहां रह रहे अन्य अल्पसंख्यकों पर भी अत्याचार किए जाते हैं. उनकी धार्मिक भावनाओं को रौंदा जाता है. और पाकिस्तान में यह स्थिति आज नहीं बनी है, गठन के बाद से ही यह स्थिति चली आ रही है…..
पाकिस्तान में धार्मिक आजादी को समझने के लिए पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री ख्वाजा नजीमुद्दीन का वक्तव्य ही काफी है. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा था – ‘मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि मजहब किसी व्यक्ति का निजी मामला है, न ही इस बात से राजी हूं कि एक इस्लामिक स्टेट में किसी व्यक्ति को समान हक मिलें, चाहे उसका धर्म, जाति या यकीन कुछ भी हो.‘
ख्वाजा निजामुद्दीन, मोहम्मद अली जिन्ना के समकालीन थे. आजादी के दौरान उन्होंने जिन्ना के साथ इस्लामिक स्टेट की मांग की थी. उनके इस बयान से पाकिस्तान में धार्मिक आजादी के मायने को आसानी से समझा जा सकता है. इससे इस बात का भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की क्या हालत होगी.
पाकिस्तान में हिन्दू मंदिरों पर अत्याचार
ऑल इंडिया पाकिस्तान हिन्दू राइट्स मूवमेंट ने पिछले वर्ष अपने एक सर्वे में कहा था कि 1947 में बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में 428 मंदिर थे, लेकिन 1990 के दशक तक 408 मंदिरों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. यानि आजादी के बाद से पाकिस्तान में उस वक्त के महज 20 मंदिर ही शेष बचे हैं. अब इन मंदिरों के स्थान पर दुकानें, रेस्टोरेंट, होटल, सरकारी स्कूल या मदरसे खुल गए हैं. इतना ही नहीं पाकिस्तान की हुकूमत ने अल्पसंख्यकों की पूजा वाले स्थलों की 1.35 लाख एकड़ भूमि को इवैक्यूई प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड को लीज पर दिया हुआ है. इस ट्रस्ट का मुख्य दायित्व विस्थापितों की भूमि पर कब्जा करना है. खासकर ऐसे लोग जो पहले यहां रहते थे, लेकिन बाद में दूसरी जगह चले गए.
पाकिस्तान में एक प्रसिद्ध काली बाड़ी मंदिर था, अब वहां एक आलीशन होटल बन गया है. इसी तरह से खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू जिले में एक मंदिर को तोड़कर मिठाई की दुकान खोल दी गई. कोहाट में एक शिव मंदिर में सरकारी स्कूल खोल दिया गया. रावलपिंडी में एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर को कम्युनिटी सेंटर में तब्दील कर दिया गया. चकवाल में 10 मंदिरों को तोड़कर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बना दिया गया.
पाकिस्तान में सिर्फ हिन्दुओं के ही नहीं, बल्कि सिक्खों के भी धार्मिक स्थलों को तोड़कर वहां दुकानें खोल दी गई. पाकिस्तान सरकार के एक ताजा सर्वे के अनुसार, वर्ष 2019 में सिंध में 11, पंजाब में 4, बलूचिस्तान में 3 और खैबर पख्तूनख्वा में 2 मंदिर ऐसे हैं, जहां पूजा-पाठ होता है.
वर्ष 2019 में पाकिस्तान के सियालकोट में एक हजार वर्ष प्राचीन मंदिर को दोबारा खोला गया. यह मंदिर आजादी के बाद से ही बंद पड़ा था. 1992 में इसे भारी नुकसान पहुंचाया गया था. इस मंदिर के रेनोवेशन पर 50 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हुए थे.
कृष्ण मंदिर को कट्टरपंथियों ने ध्वस्त किया
पिछले वर्ष पाकिस्तान की इमरान सरकार ने राजधानी इस्लामाबाद में एक कृष्ण मंदिर बनाने की मंजूरी दी थी. इमरान सरकार ने इसके लिए 10 करोड़ रुपये भी दिए थे. मंदिर के लिए 20 हजार वर्ग फीट जमीन भी मुहैया कराई. यह इस्लामाबाद का पहला हिन्दू मंदिर होता, लेकिन निर्माण के पहले ही कट्टरपंथियों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया. इसकी दीवार को ढहा दिया. कट्टपंथियों के दबाव में आकर मंदिर निर्माण पर रोक लग गई.
सुरक्षित नहीं हैं गैर मुस्लिम लड़कियां
पाकिस्तान में गैर मुस्लिम लड़कियों की स्थिति तो और भी खराब है. उनका जबरन अपहरण कर जाता है. जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है. इसके बाद जबर्दस्ती किसी मुसलमान से उसकी शादी करवा दी जाती है. यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में प्रत्येक वर्ष एक हजार से ज्यादा लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराया जाता है. उनको जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है. इनमें ज्यादातर हिन्दू, सिक्ख और क्रिश्चियन लड़कियां शामिल हैं.
साभार – दैनिक जागरण