नई दिल्ली. चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर हमेशा विवाद होता रहा है. और चीन के कारण विश्व के अनेक देश परेशान भी हैं. चीन वर्तमान में गरीब देशों को कर्ज के मकड़जाल में फंसाकर हड़पने की नीति पर चल रहा है. पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश सहित अन्य देशों में इसी नीति के तहत काम कर रहा है. पाकिस्तान में इसे लेकर विरोध भी होता रहा है, लेकिन इमरान सरकार ड्रैगन के सामने घुटनों के बल बैठ चुकी है. चीन के खतरनाक इरादों की झलक अफ्रीकी देश युगांडा में देखने को मिली है. छोटे से देश के पास एक ही अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है और उसे भी चीन कब्जाने की तैयारी कर रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर युगांडा और चीन दोनों एयरपोर्ट पर चीन का कब्जा होने की खबरों का खंडन कर रहे हैं, लेकिन इससे ड्रैगन के शातिर दिमाग की मंशा स्पष्ट जाहिर होती है.
अफ्रीकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, युगांडा की सरकार अपने एकमात्र अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को कर्ज ना चुका पाने के कारण चीन के हाथों गंवाने की कगार पर पहुंच गई है. ऋणदाता ने जो शर्तें लगा रखी हैं, उसमें कर्ज वापसी नहीं कर पाने की स्थिति में एयरपोर्ट पर कब्जे की शर्त भी शामिल है. युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने इस शर्त को बदलने की कोशिश के तहत एक प्रतिनिधिमंडल को बीजिंग भी भेजा था, लेकिन चीन ने सौदे के मूल मसौदे में किसी भी तरह के बदलाव से साफ मना कर दिया. युगांडा की सरकार ने अपने वित्त मंत्रालय और सिविल एविएशन अथॉरिटी के माध्यम से 17 नवंबर, 2015 को चीन के एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक (एग्जिम बैंक) से 2% पर 20 करोड़ 70 लाख अमेरिकी डॉलर का कर्ज लिया था. इसकी मैच्योरिटी की अवधि सात साल ग्रेस पीरियड मिलाकर 20 साल है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, युगांडा के सिविल एविएशन अथॉरिटी ने कहा है कि वित्तीय समझौते के कुछ प्रावधानों के अनुसार एंटेबे एयरपोर्ट के अलावा युगांडा की कुछ और संपत्तिया चाइनीज ऋणदाताओं के हाथ में जा सकती हैं.
डेली मॉनिटर समाचार पत्र के अनुसार, युगांडा सरकार अभी भी प्रयासरत है कि एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा उसके हाथ से न निकल जाए.
कुछ दिन पूर्व ही युगांडा के वित्त मंत्री मातिया कसैजा ने संसद में इस बात के लिए माफी मांगी थी कि एयरपोर्ट के विस्तार के लिए चीन के बैंक से जो ’20 करोड़ 70 लाख अमेरिकी डॉलर का लोन लिया गया, उसे ठीक से नहीं संभाला गया.’
बहरहाल युगांडा के एविएशन रेगुलेटर और चीन के अफ्रीकी मामलों के डायरेक्टर जनरल ने अलग-अलग ट्वीट में चीनी ऋणदाता के एयरपोर्ट पर कब्जे की खबरों से इनकार किया है.
वैसे चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट को लेकर दुनिया भर में विवाद हो चुके हैं. 2019 में श्रीलंका सरकार एक बंदरगाह चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग्स कंपनी को 110 करोड़ डॉलर के बदले 99 साल की लीज पर देने को तैयार हो गई थी. पाकिस्तान में भी चीन इस तरह के विशाल प्रोजेक्ट को लेकर काम कर रहा है, जिसे लेकर आए दिन विरोध हो रहे हैं.