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संविधान के चित्रों से होते हैं भारत की आत्मा के दर्शन – लक्ष्मी नारायण भाला

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नई दिल्ली, 27 जनवरी। संस्कार भारती के केंद्रीय कार्यालय ‘कला संकुल’ में मासिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। गणतंत्र दिवस की संध्या पर आयोजित संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और भारतीय संविधान के मनीषी लक्ष्मी नारायण भाला जी ने ‘चित्रकार ने कराया भारतीय संविधान की आत्मा का दर्शन’ विषय पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया।

गोष्ठी में भारतीय संविधान की मूल प्रति में नंदलाल बोस द्वारा बनाए चित्रों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ये चित्र केवल सजावट का माध्यम नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संविधान की मूल आत्मा का सजीव चित्रण हैं। इन चित्रों के माध्यम से भारतीय परंपरा, गौरवशाली इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों को अभिव्यक्त किया गया है।

उन्होंने संविधान के हर अध्याय में चित्रों की भूमिका का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि नंदलाल बोस जैसे महान कलाकार ने अपनी कला साधना से संविधान के हर पृष्ठ को अद्वितीय स्वरूप प्रदान किया, जो भारत की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इन चित्रों में महाभारत, रामायण, बौद्ध धर्म और भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का समावेश किया गया है, जो भारतीय संविधान को एक जीवंत ग्रंथ के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

गोष्ठी में कला साधकों और विचारकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। उन्होंने सत्र को प्रेरणादायक और भारतीय कला परंपरा को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर बताया। अंत में, संस्कार भारती के पदाधिकारियों ने लक्ष्मी नारायण भाला जी का आभार व्यक्त करते हुए इस प्रकार के आयोजनों को भविष्य में भी जारी रखने का संकल्प लिया।

सांस्कृतिक कला केंद्र के रूप में उभरते संस्कार भारती ‘कला संकुल’ में प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को संगीत, नृत्य, लोक नृत्य, साहित्य, चित्रकला विषयों पर आधारित “मासिक संगोष्ठी” का आयोजन किया जाता है।

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