रोहतक (विसंकें). डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा कि 1951 से अब तक भारत में मुस्लिम जनसंख्या पांच गुणा और हिन्दू जनसंख्या तीन गुणा बढ़ी है. मुस्लिम विदेशी आक्रांताओं और बाद में वोट की तुष्टीकरण की राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टियों ने हिन्दुस्तानी मुस्लमान को गरीब, पिछड़ा, अशिक्षित और जलालती जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया. हिन्दुस्तानी मुसलमानों का वतन, उनकी बोलियां, परम्पराएं, रीति-रिवाज और पूर्वज सांझे ही हैं. सामाजिक चिन्तक डॉ. इन्द्रेश कुमार ने चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद द्वारा आयोजित ‘भारत में जनसंख्या विस्फोट – एक विश्लेषण’ कार्यक्रम में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि ऐसे में मुस्लिम समाज को धीरे-धीरे अब यह समझ आना शुरू हो गया है कि ट्रिपल तलाक के माध्यम से मुस्लिम नारी सशक्तिकरण और धारा 370 के हटने से मुस्लिम स्वाभिमान जागा है. अत: जनसंख्या संतुलन आज के समय की आवश्यकता है, जिसके माध्यम से वर्तमान सरकार बेरोजगारी, अनपढ़ता और गरीबी पर चोट कर रही है. डॉ. इन्द्रेश कुमार ने छोटे परिवार को देश सेवा एवं व्यक्तिगत खुशहाली बताया.
भारत का मानवीय चेहरा सामने रखते हुए शरणार्थियों की ऐतिहासिक श्रृंखला में इजरायल, युगांडा, कर्बला, श्रीलंका, चीन और तिब्बत के लाखों शरणार्थियों की भारत में पनाह का उदाहरण दिया. जल-खादान, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मुलभूत समस्याओं की जड़ में जनसंख्या का अत्यधिक दवाब और भ्रष्टाचार को मुख्य बताया. उन्होंने कहा कि नेहरु के समय में 100 रुपये में से 70 रुपये, इंदिरा गांधी के समय 100 रुपये में से 50-55 रुपये और राजीव गांधी और मनमोहन के समय में 100 रुपये में से 15 रुपये ही जनता तक पहुंच पाते थे. वर्तमान में मोदी सरकार के समय दो-दो हजार रुपए की तीन किस्तें सीधे किसान के खाते में जाती हैं और रसोई गैस की सीधी किस्त देश की माताओं और बहनों के खाते में पहुंचती है. वर्तमान सरकार से इन्द्रेश कुमार ने ‘एक हिन्द जय हिन्द’ के नारे को सार्थक बनाने के लिए जनसंख्या नियंत्रक का समान कानून बनाने की अपील की.
संभाषण का विषय प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राजबीर सोलंकी ने राम मंदिर विवाद की समाप्ति के बाद समान आचार संहिता एवं जनसंख्या नियंत्रण दोनों को एक-दूसरे का पूरक कहा. एक देश-एक कानून के बिना जनसंख्या में संतुलन कायम करना कठिन है.