नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल की विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया. उन्होंने लगभग 35 मिनट भाषण दिया. उन्होंने कहा कि विश्वभारती के लिए गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है.
‘भारत के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए बंगाल की पीढ़ियों ने खुद को खपा दिया था. खुदीराम बोस सिर्फ 18 वर्ष की आयु में फांसी चढ़ गए. प्रफुल्ल चाकी 19 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए. बीना दास, जिन्होंने बंगाल की अग्नि कन्या के रूप में जाना जाता है. सिर्फ 21 साल की उम्र में जेल भेज दी गई थीं. ऐसे अनगिनत लोग हैं, जिनके नाम इतिहास में भी दर्ज नहीं हो पाए. इन सभी ने देश के आत्मसम्मान के लिए मृत्यु को गले लगा लिया.’
‘गुरुदेव ने स्वदेशी समाज का संकल्प दिया था. हमारे गांवों को कृषि को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे. उन्होंने आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आत्मशक्ति की बात कही थी. उन्होंने कहा था, राष्ट्र का निर्माण एक तरह से अपनी आत्मा की प्राप्ति का विस्तार है. जब आपने विचारों से अपने कार्यों से, अपने कर्तव्यों के निवर्हन से देश का निर्माण करते हैं तो आपको देश की आत्मा से ही अपनी आत्मा नजर आने लगती है.’
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलनों की नींव बहुत पहले रखी गई थी. आजादी के आंदोलन को पहले से चले आ रहे कई आंदोलनों से ऊर्जा मिली. भक्ति युग में भारत के हर क्षेत्र में संतों, महंतों ने देश की चेतना के लिए अविराम प्रयास किया. वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी और ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी. वो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग रखने वाली नहीं थी. उनका विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे.
उन्होंने कहा कि आपके विश्वविद्यालय का नाम ही देखिए – विश्व-भारती. मां भारती और विश्व के साथ समन्वय. विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है. आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है. ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गुजरात की बेटी भी गुरुदेव के घर बहू बनकर आई थी. सत्येंद्रनाथ टैगोर (रवीन्द्रनाथ टैगोर के बड़े भाई) की पत्नी ज्ञानदानंदिनी जब अहमदाबाद में रहती थीं, तब उन्होंने देखा कि वहां महिलाएं साड़ी का पल्लू दाईं ओर रखती थीं. इससे काम करने में परेशानी होती थी. उन्होंने सलाह दी कि बाएं कंधे पर पल्लू रखें तो काम करने में आसानी होगी. यह परंपरा तब से ही वहां चल रही है.
‘गुरुदेव का सबसे प्रेरणादायी मंत्र तो याद ही है. जोदि तोर दक शुने केऊ ना ऐसे तबे एकला चलो रे यानि कोई साथ न आए, अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अगर अकेले चलना पड़े तो चलिए.’
उन्होंने विश्वभारती के छात्र-छात्राओं को एक टास्क भी दिया. इस बार कोरोना महामारी के चलते पौष मेला नहीं हो पाया. स्टूडेंट्स पौष मेले में आने वाले लोगों से संपर्क करें और कोशिश करें कि उनकी कलाकृतियां ऑनलाइन कैसे बेची जा सकें.
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वर्ष 2022 में देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे. विश्वभारती की स्थापना के 27 साल बाद देश आजाद हो गया था. 27 साल बाद भारत की आजादी को 100 साल हो जाएंगे. हमें नए लक्ष्य गढ़ने होंगे, नई ऊर्जा जुटानी होगी. इस लक्ष्य में हमारा मार्गदर्शन गुरुदेव की ही बातें करेंगी. उनके विचार करेंगे.’